सारांश : हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव परिणामों के दौरान शेयर बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव देखा गया। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में बढ़त दर्ज की गई, लेकिन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली के चलते बाजार दबाव में रहा। इस बीच, एशियाई बाजारों में गिरावट का असर भी भारतीय शेयर बाजार पर देखा गया। विशेषज्ञों ने आशंका जताई कि राजनीतिक अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक तनाव के चलते बाजार में और गिरावट आ सकती है।
विधानसभा चुनावों के बीच भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिला। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के रुझानों के बीच, बाजार भी राजनीतिक घटनाक्रमों का असर महसूस कर रहा था। जैसे-जैसे राजनीतिक दलों की स्थिति में बदलाव आ रहा था, वैसे-वैसे सेंसेक्स और निफ्टी भी अपनी दिशा बदलते दिखाई दे रहे थे।
आज सुबह 9 बजकर 51 मिनट पर सेंसेक्स 304.83 अंकों की बढ़त के साथ 81,352.40 के स्तर पर पहुंच गया, वहीं निफ्टी 91.25 अंकों की बढ़त के साथ 24,887.00 पर कारोबार करता दिखा। दिन चढ़ने के साथ बाजार की तेजी बढ़ी और सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर सेंसेक्स 494.63 अंकों की छलांग के साथ 81,532.00 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 168.25 अंकों की बढ़त के साथ 24,964.00 के स्तर पर आ गया। यह बढ़त शेयर बाजार में पिछले छह कारोबारी सत्रों में आई गिरावट के बाद देखने को मिली।
राजनीतिक रुझानों का प्रभाव
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में जारी वोटों की गिनती के दौरान शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की बढ़त देखी गई थी। लेकिन दिन चढ़ते ही बीजेपी ने तेजी से बढ़त बना ली। राजनीतिक मोर्चे पर इस उतार-चढ़ाव का असर बाजार पर भी साफ देखा गया। जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ी और राजनीतिक दलों की स्थिति में बदलाव आया, बाजार भी हरे और लाल निशान के बीच झूलता रहा।
विदेशी निवेशकों का दबाव
शेयर बाजार में दबाव का एक बड़ा कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी बिकवाली रही। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के अनुसार, "मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, एफपीआई की लगातार बिकवाली और चुनाव परिणामों को लेकर चिंता के चलते बाजार में कमजोरी देखी जा रही है। पिछले छह कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने 50,011 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे हैं।"
इसके बावजूद, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए 53,203 करोड़ रुपये की खरीदारी की, लेकिन बाजार में अस्थिरता बनी रही। एफपीआई की रणनीति 'भारत बेचो, चीन खरीदो' की ओर इशारा करती है, जहां भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन और चीनी बाजारों के सस्ते मूल्यांकन ने इस बदलाव को तेज किया है।
सेक्टोरल प्रदर्शन
शेयर बाजार के विभिन्न सेक्टर्स में मिश्रित प्रदर्शन देखने को मिला। निफ्टी प्राइवेट बैंक में 0.55 फीसदी की बढ़त रही, जबकि निफ्टी बैंक में 0.5 फीसदी की तेजी आई। हालांकि, निफ्टी एफएमसीजी, निफ्टी मीडिया और निफ्टी मेटल में बिकवाली का दबाव बना रहा। निफ्टी 50 में 20 शेयरों ने बढ़त दिखाई, जबकि 26 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
एशियाई बाजारों का प्रभाव
भारतीय शेयर बाजार के अलावा, एशियाई बाजारों में भी गिरावट का दौर जारी रहा। हांगकांग के हैंग सेंग इंडेक्स में 7.5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, जबकि जापान के निक्केई इंडेक्स में 1.21 प्रतिशत की गिरावट रही। ताइवान के भारित सूचकांक में 0.76 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। एशियाई बाजारों में इस गिरावट का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा, जिससे शुरुआती कारोबार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला।
रुपये की स्थिति
डॉलर की तुलना में रुपया मामूली बढ़त दर्ज करता दिखा। मंगलवार को कमजोर डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण रुपया 6 पैसे की बढ़त के साथ 83.94 पर पहुंचा। हालांकि, विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और एफआईआई निकासी के कारण रुपये की बढ़त पर रोक लग रही है। सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 84.00 पर बंद हुआ था।
विशेषज्ञों की राय
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा उतार-चढ़ाव चुनावी परिणामों के बाद भी जारी रह सकता है। प्रॉफिट आइडिया के एमडी वरुण अग्रवाल के अनुसार, "निफ्टी इंडेक्स 24,800 के महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल पर बंद हुआ, जो अस्थायी उछाल का संकेत हो सकता है। हालांकि, 24,800 से नीचे साप्ताहिक बंद होने पर आगे और गिरावट की संभावना है, जो निफ्टी को 24,000 तक ले जा सकता है।"
निष्कर्ष
चुनावी परिणामों के बीच शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है। जहां एक ओर राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक तनाव बाजार पर दबाव बना रहे हैं, वहीं एफपीआई की बिकवाली भी बाजार की दिशा निर्धारित कर रही है। हालांकि, घरेलू निवेशकों की सक्रियता ने बाजार को कुछ हद तक संभाला है, लेकिन आगे भी बाजार में अस्थिरता रहने की संभावना है।
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