सारांश : भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई, जिसमें सेंसेक्स 550 अंक टूटकर 80,436 पर और निफ्टी 178 अंक गिरकर 24,571 पर आ गया। विदेशी निवेशकों की बिकवाली, इंफोसिस के कमजोर प्रदर्शन, और वैश्विक बाजारों के मिले-जुले रुझान ने भारतीय बाजार पर दबाव बनाया। बैंकिंग और आईटी सेक्टरों में प्रमुख गिरावट देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में तेजी से रिकवरी की संभावना है, लेकिन फिलहाल बाजार अस्थिर बना हुआ है।

Stock Market में लगातार गिरावट : Sensex 550 अंक फिसला, Nifty 25650 से नीचे पहुँचा


भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार का दिन निवेशकों के लिए फिर से निराशाजनक साबित हुआ। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गिरावट जारी रही। सेंसेक्स 550 अंक की गिरावट के साथ 80,436.16 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 178 अंक गिरकर 24,571.55 अंक पर आ गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारी बिकवाली और इंफोसिस के कमजोर शेयर प्रदर्शन ने बाजार पर दबाव डाला। इस गिरावट का प्रमुख कारण विदेशी फंड्स द्वारा भारतीय बाजारों से धन निकालना रहा, जो अक्टूबर महीने में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।


इंफोसिस का शेयर गिरा

शेयर बाजार में आई गिरावट में इंफोसिस के कमजोर शेयर प्रदर्शन का बड़ा योगदान रहा। इंफोसिस, जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा निर्यातक कंपनी है, ने गुरुवार को अपनी दूसरी तिमाही के शुद्ध लाभ में 5 प्रतिशत की वृद्धि की सूचना दी। हालांकि, यह वृद्धि निवेशकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, जिससे कंपनी के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। इंफोसिस के साथ टाइटन, मारुति, नेस्ले, आईटीसी, अदाणी पोर्ट्स, एचडीएफसी बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयर भी गिरावट के साथ कारोबार करते नजर आए। इसके विपरीत, एक्सिस बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा मोटर्स और भारती एयरटेल के शेयर हरे निशान पर बंद हुए।


एफआईआई की बिकवाली ने बढ़ाया बाजार पर दबाव

भारतीय शेयर बाजारों पर विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का दबाव साफ दिखाई दे रहा है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के अनुसार, भारत में शेयरों के उच्च मूल्यांकन के कारण एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है। गुरुवार को एफआईआई ने 7,421.40 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची, जिससे बाजार में निरंतर गिरावट आई।


बैंकिंग और आईटी सेक्टर में गिरावट

भारतीय बाजार में शुक्रवार को प्रमुख रूप से बैंकिंग और आईटी सेक्टर में गिरावट देखी गई। निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.21 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था, जिससे पूरे सेक्टर पर बिकवाली का दबाव बना रहा। इसी तरह, निफ्टी 50 में भी 29 शेयरों में गिरावट आई जबकि केवल 12 शेयरों में बढ़त देखी गई। निफ्टी एफएमसीजी और निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स को छोड़कर बाकी सभी सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई।


वैश्विक बाजारों का मिला-जुला रुझान

एशियाई और अमेरिकी बाजारों का रुझान भी मिला-जुला रहा। सियोल में गिरावट देखी गई, जबकि टोक्यो, शंघाई और हांगकांग के बाजारों में हल्की बढ़त दर्ज की गई। गुरुवार को अमेरिकी बाजार भी ज्यादातर सकारात्मक बंद हुए, जिसमें एसएंडपी 500 मामूली बढ़त के साथ और नैस्डैक मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। इन वैश्विक बाजारों के मिले-जुले संकेतों का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा, जिससे निवेशकों की धारणा कमजोर बनी रही।


विशेषज्ञों की राय: तेजी की उम्मीद

हालांकि, बाजार में गिरावट जारी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में स्थिति में सुधार होने की संभावना है। बैंकिंग और मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने कहा कि एफआईआई की बिकवाली अपने आधे रास्ते को पार कर चुकी है और जैसे-जैसे यह कम होगी, घरेलू प्रवाह बाजार की रिकवरी में मदद करेगा। बग्गा ने उम्मीद जताई कि जब बाजार में तेजी आएगी, तो यह काफी तेज और केंद्रित होगी, जिससे दीर्घकालिक निवेशकों को लाभ होगा।


आने वाले समय में क्या?

आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में कुछ प्रमुख कंपनियों के नतीजे आने वाले हैं, जिनमें जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, हिंदुस्तान जिंक, टाटा कंज्यूमर, आईसीआईसीआई इंश्योरेंस और एलएंडटी फाइनेंस जैसी कंपनियों के नतीजों पर नजर रहेगी। इन कंपनियों के नतीजे बाजार की दिशा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों और कच्चे तेल की कीमतों का भी असर भारतीय शेयर बाजार पर बना रहेगा। ब्रेंट क्रूड की कीमत 74.60 डॉलर प्रति बैरल पर बनी हुई है, जो निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित कर सकती है।


भारतीय बाजार में गिरावट के बावजूद, निवेशकों के लिए यह समय सावधानी से कदम बढ़ाने का है। बाजार की अस्थिरता के बीच दीर्घकालिक निवेश रणनीति अपनाना महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार की गिरावट के बावजूद, भविष्य में सुधार की संभावनाएं मजबूत हैं। आने वाले दिनों में घरेलू और वैश्विक कारक मिलकर बाजार की दिशा निर्धारित करेंगे।

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