सारांश : पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने भारतीय शेयर बाजार पर भारी दबाव डाला, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट देखी गई। बाजार में यह गिरावट इरान-इस्राइल संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, वायदा कारोबार के सख्त नियम और चीन के शेयर बाजार में मजबूती के कारण आई। इस गिरावट से बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 5.63 लाख करोड़ रुपये घट गया।
पश्चिम एशिया के तनाव से बाजार में भारी बिकवाली भारतीय शेयर बाजार ने गुरुवार को भारी गिरावट दर्ज की, जिसका मुख्य कारण पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव था। ईरान द्वारा इस्राइल पर बैलिस्टिक मिसाइल दागे जाने के बाद इस्राइल और ईरान के बीच संघर्ष की आशंका बढ़ गई। इस तनाव ने वैश्विक बाजारों में बिकवाली को प्रेरित किया, जिससे निवेशकों में सतर्कता बढ़ गई। बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 5.63 लाख करोड़ रुपये घटकर 469.23 लाख करोड़ रुपये रह गया। सेंसेक्स 1,250 अंकों से अधिक गिरकर 83,002 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 344 अंकों की गिरावट के साथ 25,452 पर बंद हुआ।
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से बढ़ी चिंताएं पश्चिम एशिया में तनाव ने कच्चे तेल की कीमतों में उछाल लाया है, जिससे भारतीय बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत जैसे कमोडिटी आयातक देशों के आयात बिल में बढ़ोतरी हो सकती है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक है। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चली गई, जिससे बाजार में और अधिक दबाव देखने को मिला। कच्चे तेल की कीमतों में यह वृद्धि न केवल भारतीय शेयर बाजार बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर भी भारी पड़ सकती है।
निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स पर दबाव इस गिरावट के चलते निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स में 1.2% की गिरावट आई। इसमें प्रमुख तेल कंपनियां जैसे हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और जीएसपीएल ने बड़ी गिरावट दर्ज की। इस गिरावट ने तेल और गैस क्षेत्र में निवेशकों की चिंता बढ़ा दी। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा और भारती एयरटेल जैसे प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली। दूसरी ओर, जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील के शेयरों में थोड़ी बढ़त देखी गई।
वायदा कारोबार पर सख्त नियमों का असर भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के अन्य प्रमुख कारणों में से एक था वायदा और विकल्प (एफएंडओ) सेगमेंट में सेबी द्वारा लागू किए गए नए सख्त नियम। इन नियमों में साप्ताहिक समाप्ति को हर एक्सचेंज पर एक दिन करना और अनुबंध आकार को बढ़ाना शामिल है। ये कदम खुदरा निवेशकों के लिए निराशाजनक साबित हो सकते हैं, जिससे ट्रेडिंग गतिविधियों में कमी आने की आशंका है। व्यापार की इस अनिश्चितता ने निवेशकों को और अधिक चिंतित कर दिया, जिससे बाजार में गिरावट का दौर जारी रहा।
चीन के शेयर बाजार से भारतीय निवेशकों की चिंता चीन के शेयर बाजार में हाल के दिनों में आई मजबूती ने भी भारतीय बाजार को प्रभावित किया है। चीन की सरकार द्वारा घोषित आर्थिक प्रोत्साहन उपायों ने चीनी शेयर बाजार को मजबूती प्रदान की है। इस मजबूती के चलते भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों ने पूंजी निकालना शुरू कर दिया है, जिससे बाजार पर और अधिक दबाव बढ़ गया। एसएसई कंपोजिट इंडेक्स में पिछले सप्ताह 15% से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय इक्विटी बाजार से 15,370 करोड़ रुपये की निकासी हुई।
रुपया भी डॉलर के मुकाबले कमजोर बाजार में आई इस गिरावट का असर भारतीय रुपये पर भी देखने को मिला। गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे कमजोर होकर 83.93 पर आ गया। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव ने रुपये पर दबाव डाला। इसके अलावा, पूंजी बाजारों से विदेशी निवेशकों की निकासी और अमेरिकी मुद्रा की मजबूती ने भी रुपये को कमजोर किया।
निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण समय पश्चिम एशिया में तनाव और वैश्विक बाजार में अनिश्चितता ने निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण समय खड़ा कर दिया है। इरान और इस्राइल के बीच बढ़ते तनाव के चलते निवेशक सतर्क हो गए हैं और बाजार में नई खरीदारी से बच रहे हैं। आने वाले दिनों में इस तनाव का असर कच्चे तेल की आपूर्ति और वैश्विक बाजारों पर पड़ सकता है, जिससे निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ जाएगा। ऐसे में बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी।
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