सारांश: झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड में 10 मासूम बच्चों की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नर्स की लापरवाही से आग भड़की। जांच में अस्पताल प्रशासन की खामियां भी सामने आईं। सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है।
झांसी मेडिकल कॉलेज में भयानक अग्निकांड
उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की जलकर मौत हो गई। घटना शुक्रवार रात की है, जब शिशु वार्ड में अचानक आग लग गई।
भगवान दास नाम के प्रत्यक्षदर्शी, जो उस समय वार्ड में मौजूद थे, ने बताया कि आग नर्स की लापरवाही से लगी। उनके अनुसार, नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को जोड़ने के दौरान माचिस जलाई थी, जिससे वार्ड में भरी ऑक्सीजन के कारण आग भड़क गई।
भगवान दास ने बताया, "जैसे ही माचिस जलाई गई, पूरा वार्ड आग की चपेट में आ गया। मैंने हिम्मत करके 3-4 बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन आग इतनी तेज थी कि ज्यादा बच्चों को बचा नहीं सका।"
फायर सुरक्षा में भारी खामियां
अस्पताल में सुरक्षा उपकरणों की स्थिति भी सवालों के घेरे में है। जांच में पता चला कि वार्ड में लगे फायर उपकरण 2019 में भरे गए थे और 2020 में ही एक्सपायर हो गए थे। इसके अलावा, आग लगने के बाद फायर अलार्म ने भी काम नहीं किया, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई।
अस्पताल प्रशासन ने शुरुआत में आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया था, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के बाद मानवीय लापरवाही का मामला सामने आया। इस मामले में गहन जांच के आदेश दिए गए हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और मुआवजा घोषणा
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग का प्रभार है, घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा, "प्रथम दृष्टया यह मामला ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट का लगता है। लेकिन अगर जांच में किसी की गलती पाई गई, तो सख्त कार्रवाई होगी।"
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए की अतिरिक्त सहायता देने की बात कही।
मासूमों की मौत से उठे सवाल
झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए इस हादसे ने स्वास्थ्य सुविधाओं की खामियों को उजागर कर दिया है। फायर सुरक्षा में लापरवाही, उपकरणों का समय पर रखरखाव न होना, और कर्मचारियों की लापरवाही जैसी खामियां सामने आई हैं।
यह घटना उन परिवारों के लिए कभी न भूलने वाला दुःस्वप्न है, जिन्होंने अपने बच्चों को इस हादसे में खो दिया। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाया जाए।
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