सारांश: अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने गूगल पर एंटीट्रस्ट कार्रवाई करते हुए आदेश दिया है कि कंपनी अपना वेब ब्राउजर Chrome बेचे और डिफॉल्ट सर्च इंजन के समझौतों पर रोक लगाए। गूगल पर सर्च मार्केट और एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म में एकाधिकार का आरोप लगाते हुए अन्य कंपनियों को नुकसान पहुंचाने का दावा किया गया है। गूगल ने इस आरोप को साजिश बताया है।
गूगल पर अमेरिकी न्याय विभाग का शिकंजा
गूगल के ऑनलाइन सर्च मार्केट में एकाधिकार को तोड़ने के लिए अमेरिकी न्याय विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। एंटीट्रस्ट कानून के तहत कोर्ट में चल रहे मामले के दौरान, DOJ ने गूगल को अपने कई प्रमुख व्यापार खंडों को अलग करने का आदेश दिया है।
- मुख्य आदेश: गूगल को अपना लोकप्रिय वेब ब्राउजर Chrome बेचना होगा।
- डिफॉल्ट सर्च इंजन पर प्रतिबंध: DOJ ने सुझाव दिया है कि गूगल के स्मार्टफोन समझौतों पर रोक लगाई जाए, जिससे एंड्रॉयड डिवाइस पर गूगल को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने की सुविधा बंद हो।
गूगल का एकाधिकार: सर्च मार्केट और क्रोम का प्रभाव
गूगल पर आरोप है कि उसने सर्च मार्केट और अपने ब्राउजर क्रोम का उपयोग करके अन्य कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा के दरवाजे बंद कर दिए।
- सर्च मार्केट पर प्रभुत्व: गूगल इंटरनेट सर्चिंग का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है और इसकी मोनोपली अन्य कंपनियों के विकास में बाधा डालती है।
- क्रोम का प्रभाव: गूगल का Chrome दुनिया का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला वेब ब्राउजर है। DOJ ने कहा है कि गूगल क्रोम के जरिए अपने प्रोडक्ट्स को प्रमोट करता है, जिससे अन्य कंपनियों को बाजार में आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता।
DOJ का तर्क: बाजार में असंतुलन
अमेरिकी न्याय विभाग ने कोर्ट को बताया कि गूगल ने अपनी मजबूत स्थिति का इस्तेमाल कर अन्य कंपनियों को नुकसान पहुंचाया।
- प्रतिस्पर्धा पर असर: DOJ का दावा है कि गूगल ने अपने ब्राउजर और सर्च इंजन के जरिए प्रतिस्पर्धा खत्म कर दी है।
- एंड्रॉयड का दुरुपयोग: गूगल पर आरोप है कि उसने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर बाजार में अपने एकाधिकार को मजबूत किया।
गूगल का पक्ष: साजिश का आरोप
गूगल ने DOJ के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
- साजिश का दावा: गूगल की रेगुलेटरी अफेयर्स वाइस प्रेसिडेंट ली ऐन मुलहॉलैंड ने कहा कि DOJ जानबूझकर गूगल के खिलाफ एजेंडा चला रहा है।
- प्रतिस्पर्धा का समर्थन: गूगल का कहना है कि उसका सर्च इंजन और क्रोम ब्राउजर यूजर्स के लिए सबसे प्रभावी और उपयोगी हैं, और वह प्रतिस्पर्धा को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है।
क्रोम बेचने का आदेश: क्या होगा असर?
यदि गूगल को क्रोम ब्राउजर बेचने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इसका असर कंपनी के व्यापार मॉडल और साख पर पड़ेगा।
- आमदनी पर प्रभाव: क्रोम ब्राउजर के जरिए गूगल अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं को प्रमोट करता है, जिससे उसकी आमदनी होती है। इसे बेचने से गूगल की आय पर बड़ा असर पड़ सकता है।
- सर्च इंजन समझौते: डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में गूगल की स्थिति कमजोर हो सकती है, जिससे अन्य सर्च इंजन जैसे Bing और DuckDuckGo को मौका मिलेगा।
प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का उद्देश्य
DOJ का मानना है कि गूगल का एकाधिकार बाजार में प्रतिस्पर्धा को खत्म कर रहा है, जिससे उपभोक्ताओं और अन्य कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
- उपभोक्ताओं का फायदा: एकाधिकार खत्म होने से उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
- नए खिलाड़ियों को मौका: यदि गूगल पर लगाम लगाई जाती है, तो अन्य कंपनियों को बाजार में अपनी जगह बनाने का मौका मिलेगा।
गूगल के व्यापार मॉडल पर असर
गूगल के लिए यह आदेश सिर्फ एक कानूनी चुनौती नहीं, बल्कि व्यापार मॉडल पर भी बड़ा प्रभाव डालेगा।
- तकनीकी क्षेत्र में बदलाव: गूगल के खिलाफ इस कदम से तकनीकी क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- वैश्विक प्रभाव: अमेरिका में गूगल के खिलाफ यह कार्रवाई अन्य देशों में भी ऐसी ही जांच और कार्रवाई को प्रेरित कर सकती है।
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