सारांश : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भारी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सियासी खींचतान शुरू हो गई है। देवेंद्र फडणवीस को भाजपा के भीतर मजबूत समर्थन मिल रहा है, जबकि एकनाथ शिंदे भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। दोनों के बीच इस मुद्दे को लेकर सस्पेंस गहराता जा रहा है। अगर फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं, तो शिंदे को दिल्ली शिफ्ट होना पड़ सकता है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति ने अभूतपूर्व जीत दर्ज की है। भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के गठबंधन ने 220 से अधिक सीटें जीतीं, जिससे महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को करारी हार का सामना करना पड़ा। एमवीए, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), और एनसीपी शामिल थे, महज 50 सीटों पर सिमट गया। अब जबकि चुनावी नतीजे साफ हो चुके हैं, महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बढ़ता जा रहा है।
मुख्यमंत्री पद पर खींचतान
महायुति की जीत के बाद भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सीएम पद को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है। भाजपा ने जहां देवेंद्र फडणवीस का नाम आगे बढ़ाया है, वहीं शिवसेना प्रमुख और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी इस पद पर दावा ठोक रहे हैं। शिंदे ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री पद पर फैसला महायुति के तीनों घटक दल मिलकर करेंगे। दूसरी ओर, फडणवीस खेमे को आरएसएस और केंद्रीय नेतृत्व का भी समर्थन प्राप्त है।
चुनावी प्रदर्शन और सीटों का गणित
महायुति ने कुल 220 सीटें जीतीं, जिनमें भाजपा ने 132, शिवसेना (शिंदे गुट) ने 57, और एनसीपी (अजित गुट) ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की।
देवेंद्र फडणवीस (भाजपा):
नागपुर साउथ-वेस्ट सीट से चुनाव लड़ा और 39,710 वोटों के अंतर से विजयी हुए।
एकनाथ शिंदे (शिवसेना):
कोपरी-पांचपखाड़ी सीट से चुनाव लड़ा और 1,20,717 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की।
भाजपा के बेहतर प्रदर्शन और केंद्रीय नेतृत्व के समर्थन के कारण फडणवीस की दावेदारी मजबूत नजर आ रही है।
देवेंद्र फडणवीस के पक्ष में माहौल
चुनाव से पहले और बाद में मिले संकेत इस ओर इशारा करते हैं कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं। आरएसएस और भाजपा नेतृत्व, खासकर अमित शाह, ने फडणवीस के पक्ष में अपना झुकाव स्पष्ट कर दिया है। फडणवीस की मां सरिता फडणवीस ने भी इस बात का संकेत दिया है कि उनका बेटा दिल्ली की राजनीति में जाने के बजाय महाराष्ट्र में ही काम करना चाहता है।
सरिता फडणवीस ने कहा, “देवेंद्र ने चुनाव के दौरान दिन-रात मेहनत की है और वे मुख्यमंत्री बनकर महाराष्ट्र में ही रहना चाहते हैं।”
एकनाथ शिंदे का रुख
एकनाथ शिंदे ने सीएम पद को लेकर कोई समझौता करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ज्यादा सीटें जीतने वाला दल मुख्यमंत्री बनेगा, ऐसा कोई नियम गठबंधन में तय नहीं हुआ था। अगर फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं, तो शिंदे डिप्टी सीएम पद स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होंगे।
शिंदे के लिए भाजपा ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव को शिंदे के लिए एक सम्मानजनक विकल्प माना जा रहा है, क्योंकि वे 2019 की स्थिति को दोहराने से बचना चाहेंगे।
दिल्ली शिफ्ट का विकल्प
अगर फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं, तो शिंदे के पास दो विकल्प होंगे:
दिल्ली जाना और केंद्रीय मंत्री बनना:
भाजपा नेतृत्व शिंदे को नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री पद की पेशकश कर सकता है। यह विकल्प उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में अप्रिय स्थिति से बचा सकता है।
महायुति से अलग होने का प्रयास:
हालांकि, शिंदे के लिए इस विकल्प को चुनना कठिन होगा। 2019 में उद्धव ठाकरे द्वारा भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद उन्हें जिस तरह की राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, वह एक चेतावनी के रूप में है।
भाजपा का प्लान बी
भाजपा ने शिंदे के संभावित विरोध को ध्यान में रखते हुए प्लान बी तैयार किया है। अगर शिंदे मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ जाते हैं, तो भाजपा के पास उन्हें केंद्र में स्थान देने का विकल्प है। इससे न केवल महाराष्ट्र की राजनीति में स्थिरता बनी रहेगी, बल्कि भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के संबंध भी मजबूत रहेंगे।
अगला मुख्यमंत्री कौन?
अभी तक महायुति ने इस पर अंतिम फैसला नहीं किया है। लेकिन फडणवीस के पक्ष में समर्थन और भाजपा के प्रदर्शन को देखते हुए संभावना है कि वह मुख्यमंत्री बनें। शिंदे को दिल्ली भेजने का विकल्प भाजपा के लिए इस खींचतान का समाधान हो सकता है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र की राजनीति इस समय एक दिलचस्प मोड़ पर है। महायुति की ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच सहमति बनना जरूरी है। फडणवीस और शिंदे के बीच खींचतान के बावजूद, दोनों नेताओं को पार्टी के व्यापक हित में काम करना होगा।
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