सारांश : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के अधिकारियों पर गुस्सा जाहिर किया, जब उनके हेलीकॉप्टर और बैग की जांच की गई। ठाकरे ने सत्ता पक्ष के नेताओं पर समान जांच ना करने का आरोप लगाया और चुनाव आयोग से निष्पक्षता की मांग की।

Maharashtra Election से पहले Uddhav Thackeray का Election Commission पर निशाना, अधिकारियों के साथ तलाशी को लेकर तकरार


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और राज्य में सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। 20 नवंबर को होने वाले मतदान के बीच, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और चुनाव आयोग के अधिकारियों के बीच का विवाद चुनावी सरगर्मियों का एक नया अध्याय बन गया है। यवतमाल जिले के वानी हेलीपैड पर उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की जांच करने और उनके बैग की तलाशी की मांग ने इस विवाद को जन्म दिया। ठाकरे का आरोप है कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाते हुए सिर्फ उनके बैग की तलाशी ली जा रही है जबकि सत्ता पक्ष के नेताओं की ऐसी जांच नहीं होती।


हेलीकॉप्टर तलाशी पर गुस्से में उद्धव ठाकरे

यवतमाल जिले में एक चुनावी रैली के बाद उद्धव ठाकरे अपने हेलीकॉप्टर से रवाना होने वाले थे, तभी चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उनके बैग और हेलीकॉप्टर की जांच का फैसला किया। इस पर उद्धव ठाकरे ने नाराजगी जताई और सवाल उठाया कि क्या सत्ता पक्ष के नेताओं - जैसे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार - की भी इसी प्रकार जांच की जाती है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की महाराष्ट्र दौरे के दौरान ऐसी जांच की जाती है।


तलाशी के दौरान उद्धव ठाकरे और अधिकारियों की बातचीत

तलाशी के दौरान उद्धव ठाकरे ने अधिकारियों से कई सवाल पूछे और इस बातचीत का वीडियो भी रिकॉर्ड किया। ठाकरे ने अधिकारियों से सीधे सवाल किया कि पिछले चार महीनों में किस अन्य राजनेता की बैग की जांच की गई है। जवाब में अधिकारी ने कहा कि उद्धव ठाकरे पहले नेता हैं जिनकी तलाशी ली जा रही है। इस पर ठाकरे ने तंज कसा कि क्या सत्ता पक्ष के नेताओं की भी तलाशी ली गई है। उद्धव ने अधिकारियों से कहा कि वह उनकी बैग चेक कर सकते हैं, लेकिन वह इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो जारी करेंगे।


चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल

उद्धव ठाकरे ने इस घटना को चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करने का मौका बताया। उन्होंने मांग की कि आयोग सत्ता पक्ष के नेताओं की भी तलाशी ले और इसे सार्वजनिक करे। ठाकरे ने कहा कि यदि आयोग निष्पक्ष है तो उसे सत्ता पक्ष के नेताओं की भी जांच करनी चाहिए और उसके वीडियो रिकॉर्ड करने चाहिए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि महाराष्ट्र में चुनाव आयोग की ओर से जांच के लिए बाहरी राज्यों के अधिकारियों को भेजा जा रहा है, जो कि राज्य की जनता में संदेह उत्पन्न करता है।


राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

इस घटना के बाद उद्धव ठाकरे और शिवसेना ने चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निष्पक्षता तभी मानी जाएगी जब हर नेता की जांच हो, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का। इस बयान के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है। शिवसेना समर्थक उद्धव ठाकरे के इस रुख की सराहना कर रहे हैं और इसे विपक्ष के प्रति भेदभाव के खिलाफ उनकी आवाज बता रहे हैं।


महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ

महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव में 288 सीटों पर मतदान होना है और इसका परिणाम 23 नवंबर को आएगा। पिछली बार हुए चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना ने एनडीए से अलग होकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। इस बार भी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं, और चुनाव आयोग पर निष्पक्षता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।


उद्धव ठाकरे के बयान का असर

इस विवाद का असर महाराष्ट्र के मतदाताओं पर भी पड़ सकता है। उद्धव ठाकरे का यह कदम उनके समर्थकों के बीच उनके प्रति विश्वास को और मजबूत कर रहा है। इस तरह की तलाशी और पक्षपात के आरोप से मतदाताओं के बीच चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। इस घटना से विपक्षी दलों ने भी आयोग की भूमिका पर चर्चा शुरू कर दी है और आयोग को अपनी निष्पक्षता सिद्ध करने का दबाव बढ़ गया है।


निष्कर्ष

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और चुनाव आयोग के बीच हुआ यह विवाद इस चुनावी दौर का एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। शिवसेना प्रमुख का कहना है कि आयोग की निष्पक्षता तभी सिद्ध होगी जब सभी नेताओं की समान रूप से जांच की जाएगी। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग और सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और यह घटना चुनावी परिणामों पर क्या प्रभाव डालती है।

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