सारांश : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले पालघर के नालासोपारा क्षेत्र में भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसे बांटने के आरोप लगे हैं। बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) ने तावड़े पर मतदाताओं को प्रभावित करने का आरोप लगाया। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे विपक्ष की हताशा करार दिया। दोनों पक्षों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।
चुनाव के माहौल में उठा बवाल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच पालघर जिले के नालासोपारा में सोमवार को बड़ा हंगामा हुआ। बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) के विधायक क्षितिज ठाकुर और उनके समर्थकों ने भाजपा महासचिव विनोद तावड़े पर मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए पैसे बांटने का गंभीर आरोप लगाया। इस घटना ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।
घटना का विवरण
नालासोपारा के एक होटल में भाजपा की बैठक चल रही थी, जिसमें तावड़े शामिल थे। बीवीए के समर्थकों ने होटल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और दावा किया कि भाजपा नेताओं ने चुनाव प्रभावित करने के लिए 5 करोड़ रुपये बांटने की योजना बनाई थी।
क्षितिज ठाकुर ने आरोप लगाया, "हमें जानकारी मिली थी कि भाजपा नेता इस इलाके में पैसे बांटने आए हैं। मैंने खुद होटल में तावड़े को देखा और यह स्पष्ट हो गया कि मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।" ठाकुर ने यह भी कहा कि होटल में सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को बंद कर दिया गया था, जो संदेह को और बढ़ाता है।
विनोद तावड़े का बचाव
आरोपों पर सफाई देते हुए भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने कहा, "मैं यहां सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं को मतदान प्रक्रिया और नियमों के बारे में जागरूक करने आया था। यह बैठक आदर्श आचार संहिता और वोटिंग मशीनों की सुरक्षा पर चर्चा के लिए थी। पैसे बांटने के आरोप बेबुनियाद हैं।"
तावड़े ने चुनाव आयोग और पुलिस से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने कहा, "सीसीटीवी फुटेज की जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आए। मैं 40 साल से पार्टी में हूं और मेरी छवि पर इस तरह का झूठा आरोप लगाया जा रहा है।"
सत्ता पक्ष और विपक्ष की बयानबाजी
इस घटना ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच जुबानी जंग को और तेज कर दिया है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, "महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग खत्म होना चाहिए। तावड़े के बैग में पैसे होने की खबरें चिंताजनक हैं।"
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, "चुनाव आयोग को अपनी भूमिका निभानी चाहिए थी। यह मामला भाजपा की रणनीति का पर्दाफाश करता है।"
दूसरी ओर, भाजपा नेता प्रवीण दारेकर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "यह विपक्ष की हताशा का नतीजा है। वे जानते हैं कि इस चुनाव में उनकी हार तय है, इसलिए इस तरह के झूठे आरोप लगाकर सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं।"
चुनाव आयोग की भूमिका
इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग जोर पकड़ रही है। चुनाव आयोग से सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों की जांच की अपील की गई है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं की जांच नहीं होती, जबकि उनके सामान की तलाशी ली जाती है।
राजनीतिक असर
इस विवाद ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है। जहां भाजपा इसे विपक्ष का प्रचार रणनीति बता रही है, वहीं बीवीए इसे लोकतंत्र की रक्षा का मुद्दा बता रही है। इस तरह की घटनाएं चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती हैं।
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