सारांश : प्रयागराज महाकुंभ में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें 15 से अधिक लोगों की मौत होने की आशंका है और कई लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति पर सीधी निगरानी रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगातार तीन बार बातचीत की है। हादसा मौनी अमावस्या से पहले हुआ, जब लाखों श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए एकत्रित हुए थे। प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा हुआ है, वहीं अखाड़ा परिषद ने पहले स्नान रद्द करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में कहा कि भीड़ कम होने के बाद अखाड़े स्नान करेंगे।


Prayagraj महाकुंभ में भगदड़ : 15 से अधिक की मौत, PM Modi ने CM Yogi से की तीन बार बातचीत


महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ ने मचाई भगदड़

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आज एक बड़ा हादसा हुआ, जब मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस घटना में 15 से अधिक लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। हादसा कुंभ क्षेत्र में उस समय हुआ जब लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे थे। प्रशासन का कहना है कि हालात पर काबू पाने के लिए आपातकालीन सेवाओं को तुरंत सक्रिय कर दिया गया है।


पीएम मोदी की निगरानी, सीएम योगी से लगातार संपर्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भगदड़ की गंभीरता को देखते हुए खुद स्थिति की निगरानी शुरू कर दी है। बीते दो घंटों में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तीन बार फोन पर चर्चा की और राहत व बचाव कार्यों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। सरकार ने प्रशासन को अलर्ट पर रखा है और घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा देने के आदेश दिए गए हैं।


अमृत स्नान से पहले हुई दुर्घटना

महाकुंभ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान बेहद पवित्र माना जाता है, और इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु प्रयागराज में संगम तट पर जुटते हैं। भारी भीड़ के चलते वहां की व्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ गया, जिससे यह हादसा हुआ। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रशासन ने पहले ही श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या को देखते हुए विशेष सतर्कता बरतने की बात कही थी, लेकिन अचानक भगदड़ मचने से स्थिति बेकाबू हो गई।


अखाड़ा परिषद का फैसला: पहले रद्द, फिर बदलाव

इस हादसे के तुरंत बाद अखाड़ा परिषद ने मौनी अमावस्या पर अखाड़ों के स्नान को रद्द करने की घोषणा कर दी थी, ताकि और अधिक अनहोनी न हो। हालांकि, कुछ घंटों बाद परिषद ने अपने निर्णय में बदलाव करते हुए कहा कि जब भीड़ छंट जाएगी, तब अखाड़े स्नान के लिए जाएंगे। परिषद के इस फैसले से कुंभ में शामिल संतों और साधुओं को राहत मिली है, जो परंपरा के अनुसार स्नान करना चाहते थे।


प्रशासन की बड़ी चुनौती

भगदड़ के कारण हुए हादसे के बाद प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य करना और घायलों को समय पर उपचार उपलब्ध कराना है। राहत और बचाव कार्यों में पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और एनडीआरएफ की टीमें जुट गई हैं। अधिकारियों के अनुसार, घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और मृतकों की पहचान की जा रही है।


महाकुंभ में सुरक्षा पर सवाल

यह हादसा महाकुंभ में सुरक्षा प्रबंधन पर कई सवाल खड़े करता है। हर बार प्रशासन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के लिए पुख्ता इंतजाम करने का दावा करता है, लेकिन इस बार भीड़ को नियंत्रित करने में नाकामी साफ नजर आई। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के आयोजनों में पहले से योजना बनाकर भीड़ नियंत्रण की रणनीति अपनाई जानी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।


आगे की कार्रवाई और जांच

राज्य सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रशासन यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि भगदड़ की असली वजह क्या थी और क्या सुरक्षा इंतजाम पर्याप्त थे या नहीं। सरकार का दावा है कि हालात को जल्द से जल्द सामान्य करने के प्रयास जारी हैं और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।

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