सारांश : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में शुक्रवार सुबह तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। भूकंप के कारण वरुणावत पर्वत का भूस्खलन क्षेत्र कमजोर हो गया और वहां से मलबा व पत्थर गिरने लगे। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई। फिलहाल किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।


Uttarakhand में भूकंप का कहर : Uttarkashi में तीन बार हिली धरती, Varunavat पर्वत पर भूस्खलन का खतरा


उत्तरकाशी में सुबह तीन बार आया भूकंप, लोगों में दहशत

उत्तरकाशी और आसपास के इलाकों में शुक्रवार को लगातार तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई। भूकंप का पहला झटका सुबह 7:42 बजे आया, जिसके बाद वरुणावत पर्वत के भूस्खलन जोन से पत्थर और मलबा गिरने लगा। इसके कुछ ही देर बाद, 8:19 बजे फिर से भूकंप महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता 3.5 मापी गई।


लगातार हो रहे झटकों से लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए। तीसरा झटका 10:59 बजे महसूस किया गया, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई। भूकंप के कारण किसी प्रकार की जनहानि की खबर नहीं है, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग स्थिति का आंकलन कर रहा है।


भूकंप का केंद्र और प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी में जमीन से 5 किलोमीटर नीचे था। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिले की सभी तहसीलों से नुकसान की जानकारी एकत्र की जाए। अभी तक किसी बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन लगातार हो रहे भूकंप से क्षेत्र में भूस्खलन की संभावना बढ़ गई है।


भूकंप क्यों आता है?

पृथ्वी के भीतर सात प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं, जो निरंतर गति करती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो उस क्षेत्र को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। बार-बार टकराने से प्लेटों के किनारे मुड़ने लगते हैं और अत्यधिक दबाव बनने पर ये प्लेटें टूट जाती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान अंदर संचित ऊर्जा बाहर निकलती है, जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं।


भूकंप का केंद्र और उसकी तीव्रता का महत्व

भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है, जहां टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल के कारण ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर कंपन सबसे अधिक होता है और जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, प्रभाव कम होता जाता है। अगर भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक होती है, तो 40 किलोमीटर के दायरे में भारी नुकसान होने की संभावना होती है।


भूकंप की दिशा भी इसके प्रभाव को निर्धारित करती है। यदि कंपन की दिशा ऊपर की ओर होती है, तो कम क्षेत्र प्रभावित होता है, जबकि यदि यह क्षैतिज दिशा में फैलता है, तो बड़े क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है।


रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?

भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। इस पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 1 से 9 तक मापी जाती है। भूकंप के केंद्र, जिसे एपीसेंटर कहा जाता है, से इसकी तीव्रता का निर्धारण किया जाता है। यह पैमाना धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा को मापता है, जिससे भूकंप की भयावहता का अनुमान लगाया जाता है।


उत्तरकाशी और वरुणावत पर्वत पर बढ़ा खतरा

उत्तरकाशी क्षेत्र पहले से ही भूस्खलन की चपेट में रहा है। वरुणावत पर्वत इस इलाके में भूस्खलन के लिए कुख्यात है। 2003 में भी यहां भारी भूस्खलन हुआ था, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था। अब फिर से लगातार आ रहे भूकंपों से इस क्षेत्र में भूस्खलन की संभावना बढ़ गई है। स्थानीय प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।


भूकंप से बचाव के उपाय

भूकंप से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:


भूकंप के दौरान तुरंत खुले स्थान पर चले जाएं और इमारतों से दूर रहें।

अगर घर में हैं, तो टेबल या मजबूत फर्नीचर के नीचे छिपें।

लिफ्ट का इस्तेमाल न करें और सीढ़ियों से बाहर निकलें।

बिजली, गैस और पानी के कनेक्शन को बंद कर दें।

घर में भूकंप सुरक्षा किट तैयार रखें, जिसमें जरूरी दवाइयां, टॉर्च, पानी और खाने की वस्तुएं हों।


भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन की तैयारी

उत्तराखंड सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने सभी तहसीलों को सतर्क रहने और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।


निष्कर्ष

उत्तरकाशी में आए लगातार तीन भूकंपों ने लोगों को डर और अनिश्चितता में डाल दिया है। हालांकि अभी तक कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई है, लेकिन वरुणावत पर्वत क्षेत्र में भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

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