सारांश: भारत में संसद के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है, जिसमें सरकार की नीतियों और योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती है। यह अभिभाषण केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तैयार किया जाता है और राष्ट्रपति इसे संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए पढ़ते हैं। इस परंपरा की जड़ें ब्रिटिश शासन में हैं और यह संविधान के अनुच्छेद 87(1) के तहत अनिवार्य है।
बजट सत्र और राष्ट्रपति का अभिभाषण: एक महत्वपूर्ण परंपरा
हर साल भारत में संसद का बजट सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ प्रारंभ होता है। इस वर्ष भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगी और सरकार की नीतियों व प्राथमिकताओं का खाका पेश करेंगी। इसके बाद 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री देश का वार्षिक बजट प्रस्तुत करेंगे। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है और इसका उद्देश्य संसद को सरकार की दिशा और आगामी योजनाओं की जानकारी देना होता है।
राष्ट्रपति का अभिभाषण कौन तैयार करता है?
संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यकारी प्रमुख होते हैं और वे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की सलाह पर अपने अधिकारों का उपयोग करते हैं। राष्ट्रपति का अभिभाषण भी पूरी तरह से सरकार की ओर से तैयार किया जाता है। इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल तैयार करता है और राष्ट्रपति इसे संसद के संयुक्त सत्र में प्रस्तुत करते हैं। इस अभिभाषण में सरकार की नीतियों, पिछले वर्ष की उपलब्धियों और आगामी योजनाओं का उल्लेख होता है।
राष्ट्रपति का अभिभाषण कब और क्यों दिया जाता है?
संविधान के अनुच्छेद 87(1) के अनुसार, दो अवसरों पर राष्ट्रपति संसद को संबोधित करते हैं:
- नए लोकसभा चुनाव के बाद पहले सत्र में – जब नई सरकार का गठन होता है, तब राष्ट्रपति संसद के पहले सत्र की शुरुआत में अभिभाषण देते हैं।
- हर वर्ष के पहले संसदीय सत्र में – यह आमतौर पर बजट सत्र होता है, जहां सरकार की नीतियों और योजनाओं का विवरण दिया जाता है।
क्या राष्ट्रपति बिना लिखित अभिभाषण के बोल सकते हैं?
राष्ट्रपति का अभिभाषण पूरी तरह से लिखित होता है और इसे मंत्रिमंडल द्वारा तैयार किया जाता है। राष्ट्रपति स्वयं इसमें कोई बदलाव नहीं करते और इसे हूबहू पढ़ते हैं।
भारत में राष्ट्रपति के अभिभाषण की परंपरा कैसे शुरू हुई?
जब भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली और 1950 में संविधान लागू हुआ, तो पहली बार संसद का सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू हुआ। यह परंपरा ब्रिटिश शासन से प्रेरित है। ब्रिटेन में राजा या रानी संसद के सत्र की शुरुआत में संसद को संबोधित करते थे। भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1935 में भी इस प्रकार की परंपरा मौजूद थी।
अंग्रेजों के शासनकाल की छाप
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत राज्यसभा (तब इसे काउंसिल ऑफ स्टेट्स कहा जाता था) का गठन हुआ और 1921 में पहली बार केंद्रीय विधानमंडल के संयुक्त सत्र में अभिभाषण दिया गया। यही परंपरा आजादी के बाद भारत के संविधान में भी अपनाई गई।
संविधान में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार
संविधान के अनुच्छेद 86(1) में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से या किसी एक सदन को कभी भी संबोधित कर सकते हैं। हालांकि, अभी तक किसी राष्ट्रपति ने इस विशेषाधिकार का प्रयोग नहीं किया है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण का महत्व
- सरकार की नीति और योजनाओं की रूपरेखा – राष्ट्रपति के अभिभाषण में आगामी वर्ष की नीतियों, आर्थिक योजनाओं और प्राथमिकताओं का उल्लेख होता है।
- संसद में सत्र की औपचारिक शुरुआत – संसद के बजट सत्र की शुरुआत इसी अभिभाषण से होती है।
- राजनीतिक और प्रशासनिक संकेत – अभिभाषण के माध्यम से सरकार अपनी नीतियों का संकेत देती है, जिससे राजनीतिक हलचल बनती है।
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