सारांश: थिएटर के प्रसिद्ध कलाकार और NSD के गोल्ड मेडलिस्ट आलोक चटर्जी का लंबी बीमारी के बाद निधन। उन्होंने नाटकों से लेकर वेब सीरीज और फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान दिया। मल्टीप्ल ऑर्गन फेलियर के कारण भोपाल में अंतिम सांस ली।
थिएटर और अभिनय की दुनिया के प्रतिष्ठित नाम, आलोक चटर्जी ने 7 जनवरी की सुबह 3 बजे भोपाल में अपने निवास पर अंतिम सांस ली। रंगमंच और सिनेमा जगत में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लंबे समय से बीमार चल रहे आलोक चटर्जी के निधन से थिएटर और फिल्म जगत में शोक की लहर है। उनके छात्रों और प्रशंसकों के बीच उन्हें "दादा" कहकर पुकारा जाता था।
आलोक चटर्जी का जीवन परिचय
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में जन्मे आलोक चटर्जी ने 8वीं कक्षा के बाद जबलपुर और फिर भोपाल का रुख किया। यहां से उन्होंने थिएटर में अपनी रुचि विकसित की। बाद में उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से ड्रामा में डिग्री प्राप्त की और गोल्ड मेडलिस्ट बने। NSD से गोल्ड मेडल पाने वाले वे दूसरे व्यक्ति थे। उनसे पहले यह सम्मान दिग्गज अभिनेता ओम पुरी को मिला था।
चटर्जी का थिएटर का सफर भोपाल में आरंभ हुआ और वे मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय (MPSD) के निदेशक भी बने। उन्होंने अपने करियर में अनेक यादगार नाटकों का निर्देशन और अभिनय किया। उनका थिएटर करियर न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा प्राप्त कर चुका है।
लंबे समय से बीमार थे चटर्जी
उनकी पत्नी शोभा चटर्जी ने बताया कि आलोक लंबे समय से बीमार थे। शरीर में संक्रमण फैलने से उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद मल्टीप्ल ऑर्गन फेलियर के कारण उनका निधन हो गया।
थिएटर से फिल्मों तक सफर
आलोक चटर्जी ने अपने थिएटर करियर में कई प्रसिद्ध नाटकों का निर्देशन और प्रोडक्शन किया। विलियम शेक्सपियर के 'अ मिड समर नाइट्स ड्रीम' और ऑर्थर मिलर के 'डेथ ऑफ अ सेल्समैन' उनके सबसे चर्चित नाटकों में शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने 'नटसम्राट' और 'आनंदमठ' जैसे नाटकों में भी उल्लेखनीय काम किया।
एक शिक्षक के रूप में उनका योगदान भी उल्लेखनीय है। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में अध्यापन किया और अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल में भी अपने ज्ञान से छात्रों को लाभान्वित किया।
फिल्मों और वेब सीरीज में योगदान
थिएटर के साथ-साथ आलोक चटर्जी ने फिल्मों और वेब सीरीज में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 'पटना शुक्ला', 'हसीन दिलरुबा' और 'महारानी' जैसी प्रोजेक्ट्स में काम किया। इन माध्यमों में भी उनकी अदाकारी को सराहा गया।
राष्ट्रपति से मिला सम्मान
2019 में आलोक चटर्जी को उनके थिएटर योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया था। यह उनके थिएटर करियर के लिए एक बड़ा सम्मान था।
आलोक चटर्जी के चर्चित नाटक
उनके नाटकों की सूची में 'शकुंतला की अंगूठी', 'अनकहे अफसाने', और 'स्वामी विवेकानंद' जैसे नाम भी शामिल हैं। हर नाटक में उनकी कला और निर्देशन का अनूठा प्रभाव दिखाई देता था।
रंगमंच और सिनेमा जगत में शोक
आलोक चटर्जी के निधन से उनके चाहने वालों और थिएटर जगत में शोक का माहौल है। उनके सहयोगियों और छात्रों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे एक महान कलाकार और प्रेरणास्रोत थे।
आलोक चटर्जी का जाना थिएटर और सिनेमा की दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
एक टिप्पणी भेजें