सारांश : भारत की GDP वृद्धि दर के धीमे अनुमान के चलते शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 600 अंक गिरकर 77,591.09 पर और निफ्टी 23,533.25 पर पहुंच गया। निवेशकों की संपत्ति में लगभग 3.3 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। आर्थिक सुस्ती और वैश्विक बाजारों के मिक्स रुझानों ने बाजार पर दबाव डाला।
शेयर बाजार की शुरुआत और गिरावट का दौर
आज भारतीय शेयर बाजार मामूली तेजी के साथ खुला। BSE सेंसेक्स ने प्री-ओपनिंग में 120.34 अंकों की बढ़त के साथ 78,319.45 पर कारोबार शुरू किया। इसी तरह, निफ्टी 50 भी 38.75 अंकों की वृद्धि के साथ 23,746.65 पर खुला। हालांकि, शुरुआती बढ़त ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई, और बाजार लाल निशान में आ गया।
दोपहर के समय भारी गिरावट देखने को मिली। दोपहर 12:18 बजे BSE सेंसेक्स 608.02 अंक गिरकर 77,591.09 पर आ गया। यह कुल 0.78% की गिरावट को दर्शाता है। वहीं, निफ्टी 50 इंडेक्स 174.65 अंक गिरकर 23,533.25 पर पहुंच गया।
निवेशकों की संपत्ति में भारी गिरावट
इस गिरावट का सबसे बड़ा प्रभाव निवेशकों की संपत्ति पर पड़ा। बीएसई के मार्केट कैपिटलाइजेशन के अनुसार, निवेशकों को लगभग 3.3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सुबह के शुरुआती कारोबार में भी सेंसेक्स और निफ्टी में कमजोरी देखी गई। सेंसेक्स 219.97 अंक गिरकर 77,979.14 पर और निफ्टी 59.55 अंक गिरकर 23,648.35 पर कारोबार कर रहा था।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी गिरावट
बड़े इंडेक्स के साथ ही मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी गिरावट दर्ज की गई।
Nifty Bank: 117.25 अंक (0.23%) गिरकर 50,084.90 पर।
Nifty Midcap 100: 463.95 अंक (0.82%) गिरकर 56,405.35 पर।
Nifty Smallcap 100: 105.35 अंक (0.56%) गिरकर 18,568.10 पर।
कई सेक्टर्स पर असर
ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, वित्तीय सेवाएं, एफएमसीजी, मेटल, रियल एस्टेट और मीडिया सेक्टर में बिकवाली का दबाव दिखा। इन सेक्टर्स में गिरावट के कारण बाजार में और कमजोरी आ गई।
शेयर बाजार में गिरावट की वजहें
आज की गिरावट का प्रमुख कारण भारत की GDP वृद्धि दर से जुड़ा है। हाल ही में जारी हुए सरकारी आंकड़ों में आर्थिक विकास की गति धीमी रहने की आशंका जताई गई है। इसके अतिरिक्त, वैश्विक बाजारों के मिक्स रुझानों ने भी भारतीय बाजार को प्रभावित किया।
GDP वृद्धि दर का अनुमान और प्रभाव
सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान लगाया गया है। यह पिछले चार वर्षों में सबसे कम है। इसका मुख्य कारण विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में आई कमजोरी है।
पिछले वर्ष की GDP: 8.2%
2020-21 के बाद की सबसे धीमी वृद्धि: अगर अनुमान सही साबित हुआ, तो यह दर महामारी के बाद सबसे धीमी होगी।
RBI और वित्त मंत्रालय की राय
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय ने GDP वृद्धि दर को लेकर थोड़ी बेहतर उम्मीद जताई है। उनका अनुमान 6.5-7% के बीच है। इसके बावजूद, बाजार में अनिश्चितता और सतर्कता का माहौल है।
वैश्विक बाजारों का प्रभाव
वैश्विक बाजारों में मिक्स रुझान देखने को मिल रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के बाजारों में भी उतार-चढ़ाव जारी है। इससे निवेशक सतर्क हो गए हैं और बिकवाली का दबाव बढ़ा है।
क्या आगे बाजार संभलेगा?
आने वाले दिनों में बाजार की स्थिति काफी हद तक GDP आंकड़ों पर निर्भर करेगी। यदि आर्थिक मोर्चे पर कोई सकारात्मक संकेत मिलता है, तो बाजार में स्थिरता लौट सकती है। वहीं, विदेशी निवेश और घरेलू नीतिगत सुधार भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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