सारांश : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में भारत को महत्वपूर्ण तकनीकी और सुरक्षा सहयोग का उपहार दिया है। इसमें प्रमुख भारतीय परमाणु संस्थानों को अमेरिका की 'एंटिटी लिस्ट' से हटाने और उन्नत AI चिप्स तक पहुंच की अनुमति देना शामिल है। यह कदम भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के साथ ही चीन की तकनीकी क्षमताओं पर भी अंकुश लगाएगा।


India-US संबंधों को नई ऊंचाई : Biden Government ने India को दिया परमाणु और AI Technology का बड़ा तोहफा


भारत-अमेरिका संबंधों में एक और मील का पत्थर

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल के अंतिम दिनों में भारत-अमेरिका संबंधों को नई मजबूती देने वाले दो बड़े फैसले सामने आए हैं। अमेरिका ने भारत के प्रमुख परमाणु अनुसंधान संस्थानों को अपनी 'एंटिटी लिस्ट' से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही, भारत को उन्नत AI चिप्स का उपयोग करने की भी अनुमति दी गई है। ये फैसले भारत की तकनीकी और सुरक्षा क्षमताओं को नए आयाम देंगे और दोनों देशों के सहयोग को और गहरा करेंगे।


'एंटिटी लिस्ट' से बाहर भारतीय संस्थान

अमेरिकी 'एंटिटी लिस्ट' का उपयोग उन संगठनों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाने के लिए किया जाता है, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के लिए खतरा बन सकते हैं। हाल ही में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) को इस सूची से हटा दिया गया है। अब ये संस्थान अमेरिकी तकनीक और उपकरणों का उपयोग बिना किसी विशेष प्रतिबंध के कर सकेंगे।


यह कदम भारत के लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि इससे न केवल देश की परमाणु तकनीक को बल मिलेगा, बल्कि भविष्य में रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में भी नए शोध को बढ़ावा मिलेगा।


AI चिप्स तक आसान पहुंच

दूसरे महत्वपूर्ण निर्णय के तहत अमेरिका ने भारत को उन्नत AI चिप्स तक पहुंच की अनुमति दी है। इससे भारत उन चुनिंदा 18 देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्हें यह विशेष तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। AI चिप्स का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे रक्षा, स्वास्थ्य, और विज्ञान। इस कदम से भारत में AI तकनीक के विकास को गति मिलेगी और देश की वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में स्थिति मजबूत होगी।


चीन पर सख्ती, भारत को रियायत

जहां एक तरफ अमेरिका ने भारत को यह रियायतें दी हैं, वहीं चीन के 11 संगठनों को 'एंटिटी लिस्ट' में जोड़ दिया गया है। यह कदम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जो चीन की एडवांस सेमीकंडक्टर और AI तकनीक तक पहुंच को सीमित करने का प्रयास करती है। भारत को इन रियायतों का फायदा मिलना यह भी दिखाता है कि अमेरिका वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका को स्वीकार कर रहा है।


मोदी सरकार की कूटनीति का असर

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान इन मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई थी। NSA अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक में इन प्रतिबंधों को हटाने पर सहमति बनी थी। यह भारत की कूटनीतिक सफलता है, जो अब तकनीकी और सुरक्षा क्षेत्र में ठोस परिणाम दे रही है।


भारत-अमेरिका संबंधों का नया अध्याय

ये दोनों फैसले भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देंगे। परमाणु और AI तकनीक के क्षेत्र में बढ़ा सहयोग न केवल भारत की क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। इसके साथ ही, यह कदम एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में भी मदद करेगा।


सुरक्षा और तकनीकी क्षेत्र में बड़ा लाभ

परमाणु संस्थानों पर से प्रतिबंध हटने से भारत को उन्नत तकनीकों का उपयोग करने और अपने अनुसंधान को नई दिशा देने का अवसर मिलेगा। वहीं, AI चिप्स की उपलब्धता देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी और तकनीकी क्षेत्र में नए अवसर पैदा करेगी।


आगे की राह

अमेरिका का यह कदम स्पष्ट रूप से भारत के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने की मंशा को दर्शाता है। दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग से न केवल द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर साझेदारी भी बेहतर होगी।


निष्कर्ष

भारत-अमेरिका के बीच इस नई समझ से दोनों देशों को लाभ मिलेगा। यह न केवल तकनीकी और सुरक्षा क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि इसे वैश्विक राजनीति में एक प्रमुख स्थान पर भी स्थापित करेगा।

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