सोमवार को घरेलू शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक बाजारों में नरमी और विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी के चलते सेंसेक्स 800 अंक तक लुढ़क गया, जबकि निफ्टी 22,800 के स्तर से नीचे चला गया। इसके अलावा, रुपया भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ।
शेयर बाजार में मंदी, निवेशकों को भारी नुकसान
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन घरेलू शेयर बाजार ने गिरावट के साथ शुरुआत की। वैश्विक बाजारों में बिकवाली के दबाव और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की पूंजी निकासी के कारण सेंसेक्स 800 अंकों तक गिर गया। इसी तरह, निफ्टी भी 22,800 के स्तर से नीचे चला गया।
सोमवार सुबह 11:01 बजे सेंसेक्स 783.08 अंक (1.02%) की गिरावट के साथ 75,427.04 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 238.91 अंक (1.03%) गिरकर 22,853.30 पर पहुंच गया।
वैश्विक बाजारों में कमजोरी का असर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजारों में गिरावट का रुख देखने को मिला, जिसका सीधा प्रभाव भारतीय बाजार पर पड़ा। एशियाई और यूरोपीय बाजारों में बिकवाली के कारण घरेलू निवेशकों में भी चिंता देखी गई। अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी और वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता के कारण निवेशकों ने जोखिम उठाने से परहेज किया।
रुपये में गिरावट, डॉलर मजबूत
सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 22 पैसे गिरकर 86.44 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.35 पर खुला था, लेकिन जल्द ही फिसलकर 86.44 प्रति डॉलर पर आ गया। पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 86.22 पर बंद हुआ था।
किन कंपनियों को नुकसान, कौन फायदे में रहा?
सेंसेक्स में सूचीबद्ध 30 कंपनियों में से कई प्रमुख कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा। इनमें जोमैटो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, पावरग्रिड, टाटा मोटर्स, अदाणी पोर्ट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडसइंड बैंक, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और एचडीएफसी बैंक प्रमुख रूप से शामिल हैं।
इसके विपरीत, कुछ कंपनियों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया। आईसीआईसीआई बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लार्सन एंड टूब्रो, नेस्ले इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईटीसी और एशियन पेंट्स के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को शुद्ध रूप से 2,758.49 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने भारतीय बाजार को और कमजोर बना दिया।
आगे क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बाजारों में स्थिरता आने तक भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे सतर्क रहें और दीर्घकालिक निवेश रणनीति अपनाएं।
एक टिप्पणी भेजें