सारांश : 7 जनवरी 2025 को तिब्बत-नेपाल बॉर्डर पर आए 7.1 तीव्रता के भूकंप ने तिब्बत और नेपाल में तबाही मचाई। भारत के दिल्ली-एनसीआर, बिहार, और पश्चिम बंगाल में भी झटके महसूस किए गए। 53 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इस घटना ने एक बार फिर क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता को उजागर कर दिया है।

Tibet - Nepal border पर 7.1 तीव्रता का Earthquake : 53 की मौत, India में भी झटके


दिल्ली-एनसीआर से बिहार तक भूकंप का प्रभाव

7 जनवरी की सुबह जब लोग सो रहे थे या उठने की तैयारी कर रहे थे, तभी धरती कांपने लगी। दिल्ली-एनसीआर, पश्चिम बंगाल और बिहार समेत कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने इस भूकंप की तीव्रता 7.1 बताई है, जिसका केंद्र तिब्बत-नेपाल बॉर्डर पर जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।


दिल्ली-एनसीआर के कई निवासियों ने बताया कि झटके इतने तेज थे कि फर्नीचर और दीवारें हिलने लगीं। लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए। बिहार और पश्चिम बंगाल के भी कई हिस्सों, जैसे सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, और कूचबिहार में झटकों से लोग सहम गए।


तिब्बत-नेपाल सीमा पर भारी तबाही

भूकंप का सबसे अधिक प्रभाव तिब्बत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में देखा गया। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, तिब्बत में 53 लोगों की मौत हुई है। भूकंप के झटकों ने नेपाल के काठमांडू और अन्य हिस्सों में भी दहशत पैदा कर दी। लोग ठंड के बावजूद अपने घरों से बाहर आ गए।


नेपाल के भू-वैज्ञानिक विभाग के अनुसार, भूकंप का केंद्र नेपाल-तिब्बत सीमा पर था। सुबह के समय जब ज्यादातर लोग सो रहे थे, भूकंप ने उन्हें चौका दिया। तिब्बत में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन दुर्गम इलाकों और ठंड के मौसम ने इस कार्य को मुश्किल बना दिया है।


पश्चिम बंगाल और बिहार में महसूस हुए झटके

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। सिलीगुड़ी में 15 सेकंड तक धरती कांपी, जिससे लोग डरकर घरों से बाहर आ गए। जलपाईगुड़ी और कूचबिहार में भी झटकों के कारण अफरातफरी मच गई।


बिहार के पटना समेत अन्य इलाकों में भी झटके महसूस किए गए। भूकंप के दौरान लोग डरकर घरों से बाहर निकल गए। हालांकि, इन इलाकों में किसी बड़ी क्षति की खबर नहीं आई है।


सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो

भूकंप के झटकों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इनमें लोग घरों से बाहर निकलते और सड़कों पर जमा होते दिखाई दे रहे हैं। कुछ वीडियो में इमारतों के हिलने और फर्नीचर के हिलने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।


7 जनवरी: भूकंप के लिए काला दिन

इतिहास में 7 जनवरी की तारीख को भूकंप से हुई भारी तबाही के लिए जाना जाता है। 1994 में इसी दिन अमेरिका के लॉस एंजिल्स में 6.7 तीव्रता के भूकंप ने 57 लोगों की जान ले ली थी और 9,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इसके अलावा, 1995 में जापान के कोबे शहर में आए 7.2 तीव्रता के भूकंप ने 6,000 से ज्यादा लोगों की जान ली थी।


इन घटनाओं ने एक बार फिर आपदा प्रबंधन और मजबूत निर्माण तकनीकों की जरूरत को रेखांकित किया है।


तिब्बत में राहत कार्य और भविष्य की तैयारी

तिब्बत में भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में आपदा प्रबंधन टीमों को तैनात किया है। हालांकि, ठंड और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों के कारण बचाव कार्य में बाधाएं आ रही हैं।


विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के प्रति सतर्कता बेहद जरूरी है। मजबूत निर्माण तकनीकों और आपदा के समय तैयार रहने से जान-माल का नुकसान कम किया जा सकता है।


निष्कर्ष

7 जनवरी 2025 का यह भूकंप न केवल तिब्बत और नेपाल, बल्कि भारत समेत अन्य पड़ोसी देशों को भी हिला गया। 53 लोगों की मौत और कई क्षेत्रों में झटकों ने भूकंपीय जोखिम की गंभीरता को एक बार फिर उजागर किया। यह घटना बेहतर आपदा प्रबंधन और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर देती है।

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