सारांश : डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारतीय शेयर बाजार में अचानक गिरावट आई, जिससे निवेशकों के बीच अस्थिरता का माहौल बन गया। सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 1% की गिरावट आई, हालांकि ट्रंप ने अभी तक चीन या अन्य देशों पर सख्त टैरिफ लगाने का कोई ऐलान नहीं किया है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टैरिफ वृद्धि में देरी होती है तो भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए यह सकारात्मक हो सकता है।


Trump के President बनने के बाद Indian Stock Market में भारी गिरावट : Sensex और Nifty में उतार-चढ़ाव


शेयर बाजार का शुरुआती हाल

भारतीय शेयर बाजार ने 20 जनवरी को सतर्क शुरुआत की। सुबह 9:18 बजे तक निफ्टी 50 में 0.25% की मामूली बढ़त देखी गई थी, जबकि बीएसई सेंसेक्स में 0.09% की वृद्धि थी। प्री-ओपन सत्र में एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 188 अंक (0.24%) बढ़कर 77,261 पर पहुंचा, वहीं एनएसई निफ्टी 50 में 76 अंक (0.33%) की बढ़त के साथ 23,421 पर ट्रेड कर रहा था।


लेकिन कुछ घंटे बाद, बाजार में गिरावट देखने को मिली। सुबह 10:30 बजे तक सेंसेक्स में 1.05% यानी 812.40 अंकों की गिरावट आई और यह 76,261.04 पर ट्रेड कर रहा था। निफ्टी भी 0.81% यानी 189.20 अंकों की गिरावट के साथ 23,155.55 तक पहुंच गया।


डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आर्थिक रुख को लेकर दुनियाभर के बाजारों में असमंजस बना हुआ है। ट्रंप प्रशासन के तहत कई निर्णयों को लेकर असमंजस बना हुआ है। हालांकि, ट्रंप ने चीन और अन्य देशों पर सख्त टैरिफ लगाने की कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन बाजारों में इससे संबंधित आशंकाएं बनी हुई हैं।


विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के संभावित आर्थिक फैसलों के बारे में अभी भी ज्यादा स्पष्टता नहीं है। ट्रंप प्रशासन ने कनाडा और मैक्सिको पर 25% टैरिफ लगाने का संकेत दिया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि टैरिफ वृद्धि नीति को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। इससे वैश्विक मुद्रा बाजार में हलचल मच गई है, जहां डॉलर सूचकांक में 108.43 अंक की गिरावट आई, और 10 वर्षीय बॉन्ड यील्ड घटकर 4.54% हो गई।


वहीं, यह भी संभावना जताई जा रही है कि यदि टैरिफ वृद्धि में और देरी होती है, तो डॉलर कमजोर हो सकता है और बॉन्ड यील्ड में गिरावट हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए फायदेमंद हो सकता है।


भारत में सेक्टरों का प्रदर्शन

भारतीय शेयर बाजार में कुछ सेक्टरों ने अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि अन्य में भारी गिरावट आई। एनएसई पर 12 में से सात सेक्टरों में सकारात्मक रुझान देखा गया। निफ्टी आईटी और निफ्टी फार्मा दोनों में जबरदस्त बढ़त दर्ज की गई। वहीं, शुरुआती कारोबार में निफ्टी रियल्टी और पीएसयू बैंक सेक्टरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई।


विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यदि वैश्विक बाजार में स्थिरता आती है, तो इन सेक्टरों में सुधार हो सकता है। फिलहाल, भारतीय बाजार की अस्थिरता ट्रंप की संभावित नीतियों और अमेरिकी बाजारों की स्थिति पर निर्भर करेगी।


विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशकों की गतिविधियां

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 20 जनवरी को भारतीय शेयर बाजार से 4,336 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने उसी दिन 4,322 करोड़ रुपये के इक्विटी खरीदी, जिससे कुछ स्थिरता आई।


यह स्थिति यह दिखाती है कि भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों का रुझान कम हो रहा है, जबकि घरेलू निवेशक इस अस्थिरता के बीच भी सक्रिय हैं। हालांकि, एफआईआई की बिकवाली ने भारतीय बाजार को कुछ समय के लिए कमजोर किया है।


निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से वैश्विक बाजारों में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है। सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई है, लेकिन यह गिरावट वैश्विक घटनाओं और ट्रंप की नीतियों के कारण हुई है। निवेशकों के लिए यह समय सतर्कता से काम करने का है, क्योंकि आने वाले समय में अगर टैरिफ वृद्धि में देरी होती है तो यह भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए अच्छा हो सकता है।

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