सारांश : शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत के इस दावे से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई कि भाजपा के कई नेता उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ गठबंधन के इच्छुक हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया और इसे सिर्फ एक सामाजिक कार्यक्रम में हुई सामान्य बातचीत बताया। इस पूरे विवाद की शुरुआत भाजपा विधायक पराग अलवानी की बेटी के विवाह समारोह में शिवसेना (UBT) और भाजपा नेताओं के बीच हुई बातचीत से हुई थी।


BJP और Shiv Sena (UBT) के गठबंधन पर सियासी घमासान: Sanjay Raut के बयान से हलचल, Fadnavis का पलटवार


सियासी गलियारों में चर्चा: क्या भाजपा के नेता शिवसेना (UBT) के साथ गठबंधन चाहते हैं?

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों नई हलचल मची हुई है। शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने दावा किया कि भाजपा के कई नेता उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ गठबंधन करने के पक्ष में हैं। इस दावे ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा को जन्म दे दिया। हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन अटकलों को सिरे से नकारते हुए कहा कि किसी सामाजिक कार्यक्रम में हुई मुलाकात को राजनीतिक नजरिए से देखना सही नहीं है।


शादी समारोह बना राजनीतिक अटकलों का केंद्र

इस पूरे विवाद की शुरुआत भाजपा विधायक पराग अलवानी की बेटी के विवाह समारोह से हुई। इस कार्यक्रम में भाजपा और शिवसेना (UBT) के कई बड़े नेता शामिल हुए थे, जिसमें शिवसेना (UBT) नेता मिलिंद नार्वेकर और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल भी मौजूद थे। इसी कार्यक्रम में दोनों नेताओं के बीच हुई मजाकिया बातचीत ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी।


बताया जा रहा है कि मिलिंद नार्वेकर ने चंद्रकांत पाटिल से मजाकिया लहजे में कहा, "अच्छा हुआ कि पत्रकार यहां नहीं हैं, वरना वे कह देते कि गठबंधन की बातचीत चल रही है।" इस पर चंद्रकांत पाटिल ने चुटकी लेते हुए जवाब दिया, "यह तो एक स्वर्णिम क्षण होगा।"


इस मजाकिया बातचीत को लेकर संजय राउत ने इसे भाजपा के भीतर शिवसेना (UBT) के लिए सहानुभूति का संकेत बताया और कहा कि भाजपा के कई नेता फिर से उद्धव ठाकरे के साथ आना चाहते हैं।


संजय राउत के बयान से भाजपा में हलचल

शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस पूरे प्रसंग पर बयान देते हुए कहा, "भाजपा के मंत्री चंद्रकांत पाटिल की भावनाएं ही नहीं, बल्कि भाजपा में कई अन्य नेता भी यही सोचते हैं। मैं उनके विचारों की सराहना करता हूं। भाजपा ने हमारी असली शिवसेना को छोड़कर 'डुप्लिकेट शिवसेना' को समर्थन दिया और हमारा हक एकनाथ शिंदे को दे दिया।"


राउत के इस बयान के बाद भाजपा के भीतर हलचल तेज हो गई। हालांकि, भाजपा ने इसे पूरी तरह से खारिज किया और इसे सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी करार दिया।


फडणवीस का जवाब: गठबंधन की कोई संभावना नहीं

दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संजय राउत के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "सामान्य बैठकों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। किसी को इतना भोला नहीं होना चाहिए कि लोग किसी प्रीतिभोज में मिलें और गठबंधन की बातचीत शुरू हो जाए।"


फडणवीस ने आगे कहा कि भाजपा का शिवसेना (UBT) के साथ किसी भी तरह का गठबंधन करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने संजय राउत पर निशाना साधते हुए कहा कि वे केवल अफवाहें फैलाकर राजनीतिक माहौल गरमाना चाहते हैं।


शिवसेना (UBT) और भाजपा के रिश्ते: क्या फिर साथ आ सकते हैं दोनों दल?

2019 के विधानसभा चुनावों के बाद से भाजपा और शिवसेना (UBT) के रिश्ते तल्ख बने हुए हैं। भाजपा से अलग होकर उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद यह सरकार गिर गई और शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बना ली।


अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। शिवसेना (UBT) लगातार भाजपा पर हमलावर है, जबकि भाजपा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ मजबूती से खड़ी है।


क्या भाजपा में असंतोष बढ़ रहा है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के अंदर कुछ नेता अब भी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका पूरा समर्थन एकनाथ शिंदे गुट के साथ है।


हालांकि, शिवसेना (UBT) इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। संजय राउत जैसे नेता लगातार बयान देकर भाजपा के अंदर दरार दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, भाजपा इस तरह की किसी भी अटकल को खारिज कर रही है।


आगे क्या?

महाराष्ट्र की राजनीति में यह बयानबाजी सिर्फ चुनावी माहौल को गरमाने का एक हिस्सा हो सकता है। भाजपा ने जहां इन दावों को खारिज कर दिया है, वहीं शिवसेना (UBT) अपने बयानों से माहौल बनाने की कोशिश में जुटी है।


आने वाले दिनों में अगर भाजपा और शिवसेना (UBT) के बीच कोई मुलाकात होती है, तो इसे नए राजनीतिक समीकरणों के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है। फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीति में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है।

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