सारांश : दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। शुरुआती रुझानों के अनुसार, बीजेपी ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी करते हुए बहुमत हासिल कर लिया है। आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा नुकसान हुआ है, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन फिर से निराशाजनक रहा है।
दिल्ली में बदली राजनीति की तस्वीर, बीजेपी ने दिखाया दम
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे अब धीरे-धीरे स्पष्ट हो रहे हैं और मतगणना के ताजा रुझानों ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। दोपहर 12 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 46 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) 23 सीटों तक सिमटती दिख रही है। दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए 36 सीटों की आवश्यकता होती है, और बीजेपी इस लक्ष्य को पार करती नजर आ रही है।
बीजेपी की ऐतिहासिक वापसी
अगर ये रुझान अंतिम नतीजों में तब्दील होते हैं, तो बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता में वापसी करेगी। 2015 के चुनावों में पार्टी को महज 3 सीटें मिली थीं, जबकि 2020 में वह सिर्फ 8 सीटों तक ही सीमित रह गई थी। इस बार, जनता का मिजाज पूरी तरह बदलता दिख रहा है, और बीजेपी को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी को इस बार 47% वोट मिले हैं, जो पिछले चुनावों की तुलना में बड़ी बढ़त को दर्शाता है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) को 43% वोट ही मिले हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि जनता का विश्वास इस बार बीजेपी की ओर झुका है। कांग्रेस की हालत इस बार भी बेहद खराब है और उसे मात्र 6.59% वोट मिले हैं, जिससे उसके पुनरुद्धार की संभावना लगभग खत्म होती दिख रही है।
'आप' को बड़ा झटका, कांग्रेस फिर से हाशिए पर
दिल्ली की राजनीति में लंबे समय तक राज करने वाली आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव किसी बड़े झटके से कम नहीं है। 2015 और 2020 के चुनावों में धमाकेदार जीत दर्ज करने वाली पार्टी इस बार संघर्ष करती नजर आई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, शिक्षा मंत्री आतिशी, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कई बड़े नेता अपनी सीटों पर पिछड़ रहे हैं।
पिछले एक दशक में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी जैसे मुद्दों पर अपनी सरकार को मजबूती से पेश किया था, लेकिन इस बार जनता के निर्णय ने उसे बड़ा झटका दिया है।
वहीं, कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन लगातार तीसरे चुनाव में बेहद खराब रहा है। 2013 के बाद से वह एक भी बार दिल्ली की सत्ता के करीब नहीं पहुंच पाई है और इस बार भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है।
बीजेपी के लिए क्या रहा फायदेमंद?
बीजेपी की इस ऐतिहासिक वापसी के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
मोदी फैक्टर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता दिल्ली में भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुई है। उनकी सरकार की नीतियों और योजनाओं को जनता ने सराहा है।
'आप' की कमजोर होती पकड़ : अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी कई विवादों में घिरी रही, जिसका सीधा असर उनके वोट शेयर पर पड़ा है।
हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मुद्दा : बीजेपी ने इस चुनाव में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को प्रमुख मुद्दा बनाया, जिससे उसे हिंदू वोटों का जबरदस्त समर्थन मिला।
स्थानीय स्तर पर संगठन की मजबूती : बीजेपी ने बूथ स्तर तक अपनी रणनीति को मजबूत किया और मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाई।
आगे की राह
अब जब बीजेपी दिल्ली की सत्ता में लौट रही है, तो जनता की अपेक्षाएं भी उससे बढ़ेंगी। दिल्ली में सरकार बनने के बाद देखना होगा कि बीजेपी किन योजनाओं को लागू करती है और आम जनता को क्या नए लाभ मिलते हैं।
अगर ये रुझान अंतिम नतीजों में बदलते हैं, तो दिल्ली की राजनीति में यह एक ऐतिहासिक बदलाव होगा। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस बार सत्ता में आकर किन प्रमुख फैसलों को लागू करती है और 'आप' कैसे अपनी हार से सबक लेकर खुद को पुनः मजबूत करने की कोशिश करती है।
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