सारांश: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर होने के संकेत मिल रहे हैं। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के छह सांसद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के संपर्क में बताए जा रहे हैं। अगर ये सांसद शिंदे गुट में शामिल हो जाते हैं, तो उद्धव ठाकरे की लोकसभा में ताकत आधे से भी कम रह जाएगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में उद्धव की शिवसेना ने 9 सीटें जीती थीं, लेकिन अब केवल 3 सांसद ही उनके साथ रह सकते हैं। इस सियासी घटनाक्रम से संसद में उद्धव ठाकरे की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है।
महाराष्ट्र में फिर सियासी हलचल, उद्धव के 6 सांसद छोड़ सकते हैं साथ
महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 'ऑपरेशन टाइगर' के तहत उद्धव ठाकरे गुट के छह सांसदों को तोड़ने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक, इन सांसदों से कई दौर की गुप्त बातचीत हो चुकी है और वे शिंदे गुट में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अगर यह रणनीति सफल होती है, तो उद्धव ठाकरे की लोकसभा में ताकत मात्र तीन सांसदों तक सिमट जाएगी।
शिंदे को बीजेपी का समर्थन?
सूत्रों का कहना है कि इस ऑपरेशन को बीजेपी का भी समर्थन मिल रहा है। 2022 में शिवसेना में बगावत कर मुख्यमंत्री बने शिंदे पहले ही उद्धव ठाकरे के कई विधायकों और नेताओं को अपने साथ ला चुके हैं। अब लोकसभा में भी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए वे उद्धव गुट के सांसदों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
लोकसभा में उद्धव की ताकत कितनी बचेगी?
2024 के लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ने 9 सीटें जीती थीं, जबकि एकनाथ शिंदे गुट को 7 सीटों पर जीत मिली थी। अब अगर उद्धव के 6 सांसद शिंदे खेमे में चले जाते हैं, तो शिंदे गुट की लोकसभा में संख्या 13 हो जाएगी, जबकि उद्धव गुट के पास सिर्फ 3 सांसद ही रह जाएंगे। इसके अलावा राज्यसभा में उद्धव गुट के पास संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी के रूप में केवल दो सांसद रहेंगे। इस प्रकार, संसद में उद्धव गुट की कुल ताकत सिर्फ 5 सांसदों तक सीमित रह जाएगी, जबकि शिंदे गुट के पास 14 सांसद हो जाएंगे।
दल-बदल कानून से बचने की रणनीति?
शिंदे गुट के इस सियासी कदम को लेकर दल-बदल कानून का जिक्र भी हो रहा है। भारतीय संविधान के तहत, अगर किसी पार्टी के दो-तिहाई से कम सांसद पार्टी छोड़ते हैं, तो उन पर दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है। लेकिन उद्धव गुट के कुल 9 सांसदों में से 6 सांसदों के एक साथ पार्टी छोड़ने से इस कानून के तहत उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसीलिए, शिंदे गुट पूरी रणनीति के साथ इन सांसदों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है।
शिंदे के संपर्क में उद्धव के विधायक भी?
सूत्रों का कहना है कि न सिर्फ सांसद, बल्कि उद्धव गुट के कुछ विधायक भी शिंदे के संपर्क में हैं। हालांकि, अभी तक विधायकों को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा में भी उद्धव गुट को झटका लग सकता है।
महाराष्ट्र में किस पार्टी को कितनी सीटें मिली थीं?
2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 13 सीटें जीती थीं। बीजेपी और उद्धव गुट की शिवसेना को 9-9 सीटें मिली थीं। शरद पवार की एनसीपी को 8 सीटें मिलीं, जबकि शिंदे गुट को 7 सीटें हासिल हुईं। अजित पवार की एनसीपी को 1 सीट मिली थी, और एक निर्दलीय उम्मीदवार भी लोकसभा पहुंचा था।
उद्धव ठाकरे के लिए कितना बड़ा झटका?
अगर उद्धव ठाकरे के 6 सांसद शिंदे गुट में शामिल होते हैं, तो यह उनके लिए एक और बड़ा झटका होगा। पहले ही 2022 में शिवसेना में टूट के बाद वे मुख्यमंत्री पद से हट चुके हैं और अब लोकसभा में उनकी ताकत कम होने से उनकी राष्ट्रीय राजनीति में पकड़ कमजोर हो सकती है। इस बीच, शिंदे गुट अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटा है और आने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के साथ मिलकर अपने राजनीतिक दायरे को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
क्या उद्धव ठाकरे इस संकट से उबर पाएंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उद्धव ठाकरे के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने शेष सांसदों और विधायकों को एकजुट रखने की होगी। यदि वे अपने समर्थकों को साध नहीं पाए, तो आने वाले समय में उनकी पार्टी और कमजोर हो सकती है।
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