सारांश : तिब्बत से लेकर दिल्ली और बिहार तक पिछले 17 घंटे में 10 बार भूकंप के झटके महसूस हुए। दिल्ली में आज सुबह भूकंप की तीव्रता 4 रही, और इससे पहले भी तिब्बत, अरुणाचल प्रदेश, और बांग्लादेश में भूकंप के झटके आए। ये बार-बार हो रहे भूकंप क्या संकेत दे रहे हैं? क्या धरती के नीचे कुछ बड़ा हो रहा है, जिससे यह सिलसिला जारी है?
पिछले कुछ घंटों से तिब्बत से लेकर दिल्ली और बिहार तक भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं, और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। तिब्बत, अरुणाचल प्रदेश, बंगाल की खाड़ी, और दिल्ली-एनसीआर में लगातार हो रहे भूकंप से लोग दहशत में हैं। आज सुबह दिल्ली में भूकंप का जोरदार झटका आया, जिसकी तीव्रता 4 मापी गई। इससे पहले भी 16 फरवरी को तिब्बत, अरुणाचल प्रदेश, और बंगाल की खाड़ी में भूकंप के झटके महसूस हुए थे। आखिर यह सिलसिला क्यों जारी है? क्या धरती के अंदर कोई बड़ी हलचल हो रही है?
भूकंप के झटके का सिलसिला
दिल्ली-एनसीआर में आज सुबह 5:37 बजे के करीब भूकंप के झटके महसूस किए गए। इन झटकों की तीव्रता 4 थी और इसके केंद्र को दिल्ली बताया गया। इस भूकंप के बाद लोग घरों से बाहर निकल आए। इसके बाद दिल्ली से लेकर बिहार तक कई और भूकंप आए। तिब्बत में 16 फरवरी को कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिनकी तीव्रता 3.5 से लेकर 4.5 तक मापी गई थी। तिब्बत में भूकंप के बाद, अरुणाचल प्रदेश, बंगाल की खाड़ी और बांग्लादेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
भारत में भूकंप का इतिहास
भारत का भूकंपीय क्षेत्र बहुत सक्रिय है। हिमालयी क्षेत्र, जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं, भूकंपों के लिए बहुत संवेदनशील है। दिल्ली, जो हिमालय के करीब स्थित है, एक सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र माना जाता है। यहां कई भ्रंश रेखाएं हैं, जो भूकंप के लिए जिम्मेदार होती हैं। जब इन रेखाओं पर तनाव जमा हो जाता है, तो अचानक भूकंप आता है। दिल्ली में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है, और यहां अगर तीव्र भूकंप आता है, तो भारी नुकसान हो सकता है।
भूकंप के कारण
भूकंप पृथ्वी की सतह के हलचल के कारण होते हैं। पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों में विभाजित है, जो धीमी गति से एक-दूसरे के पास या एक-दूसरे से दूर जाती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो ऊर्जा का भंडारण होता है। जब यह ऊर्जा एक सीमा से अधिक हो जाती है, तो चट्टानें टूट जाती हैं और भूकंप आता है।
दिल्ली का भूकंपीय खतरा
भारत में भूकंप के खतरे के हिसाब से चार क्षेत्र हैं—जोन 2, जोन 3, जोन 4, और जोन 5। इनमें जोन 5 सबसे खतरनाक है। दिल्ली, जोन 4 में आता है, जहां भूकंप का खतरा बना रहता है। जोन 4 में तेज भूकंप आने की संभावना रहती है, जिससे भारी नुकसान हो सकता है। दिल्ली की मिट्टी रेतीली और जलोढ़ होने के कारण, यहां भूकंप के दौरान अस्थिरता और इमारतों को अधिक नुकसान हो सकता है।
हालिया भूकंप की जानकारी
बीते कुछ दिनों में भारत के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए हैं। 17 फरवरी को बांग्लादेश में भूकंप आया जिसकी तीव्रता 3.5 थी, वहीं बिहार के सिवान में 4.0 तीव्रता का भूकंप सुबह 8:02 बजे महसूस किया गया। तिब्बत में 16 फरवरी को सुबह से लेकर दोपहर तक कई बार भूकंप के झटके आए, जिनकी तीव्रता 3.3 से लेकर 4.5 तक मापी गई। इन भूकंपों की गहराई 10 किलोमीटर से लेकर 56 किलोमीटर तक रही, जो इस बात का संकेत देती है कि धरती के अंदर विभिन्न स्थानों पर गतिविधियां हो रही हैं।
भूकंप के बाद की सावधानियां
भूकंप के दौरान और बाद में सुरक्षा के उपायों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है। भूकंप के झटके महसूस होने पर तुरंत सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए, खासकर उच्च इमारतों और कमजोर ढांचों से दूर रहना चाहिए। दिल्ली में जहां भूकंप के खतरे की संभावना अधिक है, वहां लोगों को नियमित रूप से भूकंप से संबंधित सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
निष्कर्ष
पिछले कुछ घंटों से हो रहे भूकंपों ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि धरती के नीचे क्या हो रहा है। क्या यह एक सामान्य घटना है या इसके पीछे कुछ और कारण हैं, जिनका हम अभी तक अनुमान नहीं लगा पाए हैं? इस बात की जांच वैज्ञानिक करेंगे, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि तिब्बत से लेकर दिल्ली और बिहार तक हो रहे भूकंपों ने एक बार फिर से हमारे भूकंपीय क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर किया है।
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