सारांश : महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के 16 लाख सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए महंगाई भत्ते (DA) में 3% की वृद्धि की घोषणा की है। यह वृद्धि 1 जुलाई 2024 से लागू होगी, जिससे कर्मचारियों को जुलाई 2024 से जनवरी 2025 तक बकाया वेतन भी मिलेगा। इससे पहले, कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी थी, जिसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया।


Maharashtra के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! महंगाई भत्ते में 3% की बढ़ोतरी, CM Fadnavis का बड़ा ऐलान


सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत, DA में 3% की बढ़ोतरी

महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों के लिए यह होली वाकई खुशियों से भरी होने वाली है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार ने राज्य के 16 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (Dearness Allowance - DA) में 3% की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। यह बढ़ोतरी 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी, जिससे सरकारी कर्मचारियों को जुलाई 2024 से जनवरी 2025 तक का बकाया वेतन भी दिया जाएगा।


राज्य सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक राहत मिलेगी, जो लंबे समय से महंगाई भत्ते में वृद्धि की मांग कर रहे थे। इससे पहले, महाराष्ट्र राज्य सरकारी कर्मचारी परिसंघ ने सरकार से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा की थी। सरकार के इस फैसले से न केवल कर्मचारियों में खुशी की लहर है, बल्कि इससे राज्य में सरकारी कामकाज भी सुचारू रूप से चलता रहेगा।


महंगाई भत्ता बढ़कर 53% हुआ, कर्मचारियों को राहत

अब तक महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों को 50% महंगाई भत्ता मिल रहा था, जिसे बढ़ाकर 53% कर दिया गया है। इस वृद्धि से कर्मचारियों के वेतन में सुधार होगा और उन्हें बढ़ती महंगाई से निपटने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार ने इस बढ़ोतरी पर मुहर लगाने के लिए बजट का प्रावधान भी किया है, जिससे 1200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कर्मचारियों के भत्ते में वृद्धि के लिए आवंटित की गई है।


सरकारी कर्मचारियों के संगठन लंबे समय से महंगाई भत्ते में वृद्धि की मांग कर रहे थे। इस मांग को लेकर उन्होंने सरकार को कई बार ज्ञापन सौंपा था, लेकिन जब कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला, तो उन्होंने 6 मार्च को विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। इसके बाद, सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस वृद्धि की घोषणा कर दी।


बजट सत्र के दौरान प्रदर्शन की धमकी ने बढ़ाया दबाव

सरकारी कर्मचारियों के संगठन ने 6 मार्च को बजट सत्र के दौरान बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने की धमकी दी थी। इस चेतावनी के बाद सरकार हरकत में आई और कर्मचारियों की मांगों पर विचार किया। सरकार ने महंगाई भत्ते में वृद्धि करने के साथ-साथ 1200 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया भुगतान की भी घोषणा की, जिससे कर्मचारियों का आक्रोश शांत हुआ।


इससे पहले, सरकारी कर्मचारी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से मिलने की इच्छा जताई थी, ताकि वे अपनी मांगों को सीधे सरकार के सामने रख सकें। बैठक के बाद, सरकार ने सकारात्मक निर्णय लेते हुए DA में वृद्धि का ऐलान किया।


विपक्ष ने सरकार को घेरा, ‘लाडकी बहिन योजना’ पर उठाए सवाल

महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी को लेकर विपक्ष ने भी सरकार पर सवाल खड़े किए थे। विपक्षी दलों का कहना था कि ‘लाडकी बहिन योजना’ जैसी कल्याणकारी योजनाओं के कारण सरकार के खजाने पर पहले ही भारी दबाव है। ऐसे में महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी करना वित्तीय असंतुलन पैदा कर सकता है। हालांकि, सरकार ने इस तर्क को नकारते हुए कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता दी और DA बढ़ाने का निर्णय लिया।


इसके अलावा, विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार केंद्र सरकार की तर्ज पर महंगाई भत्ता नहीं बढ़ा रही थी, जिससे महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारी वित्तीय रूप से पीछे रह गए थे। लेकिन अब सरकार ने इस वृद्धि को मंजूरी देकर कर्मचारियों को राहत दी है।


केंद्र सरकार भी बढ़ा सकती है DA, होली से पहले आ सकता है फैसला

महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के बाद अब नजरें केंद्र सरकार पर हैं। फिलहाल, केंद्रीय कर्मचारियों को 53% महंगाई भत्ता मिल रहा है, लेकिन मार्च में होली से पहले केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में वृद्धि कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए DA में 3-4% की बढ़ोतरी कर सकती है, जिससे लाखों कर्मचारियों को सीधा फायदा होगा।


कर्मचारियों के लिए आर्थिक राहत, सरकार का सकारात्मक कदम

सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होगी, जिससे वे महंगाई का बेहतर तरीके से सामना कर सकेंगे। महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों के वेतन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो महंगाई के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।


महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है, वहीं यह राज्य सरकार के लिए एक बड़ा वित्तीय दायित्व भी है। लेकिन सरकार ने कर्मचारियों की मांग को प्राथमिकता देते हुए उन्हें राहत देने का निर्णय लिया, जिससे सरकारी कामकाज में भी सुधार आने की उम्मीद है।


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