सारांश: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर छह महीने के लिए कई वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं। बैंक अब न तो कोई नया लोन दे सकेगा और न ही जमा स्वीकार कर सकेगा। हालांकि, बैंक का लाइसेंस रद्द नहीं किया गया है, जिससे ग्राहकों की जमा राशि सुरक्षित रहेगी। यह प्रतिबंध बैंक में हाल की वित्तीय अनियमितताओं और लगातार हो रहे घाटे के कारण लगाया गया है।
RBI ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर कसा शिकंजा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। यह बैंक अब अगले छह महीनों तक कोई नया लोन नहीं दे सकेगा और न ही ग्राहकों से कोई नई जमा स्वीकार कर सकेगा। हालांकि, बैंक का लाइसेंस रद्द नहीं किया गया है, जिससे ग्राहकों की जमा राशि पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा।
आरबीआई की यह कार्रवाई बैंकिंग सेक्टर में बढ़ती अनियमितताओं और वित्तीय अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इससे पहले भी आरबीआई ने कई को-ऑपरेटिव बैंकों पर इसी तरह की पाबंदियां लगाई हैं, जिनमें 2019 में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) का मामला प्रमुख रहा था।
क्यों लगाया गया यह प्रतिबंध?
RBI ने स्पष्ट किया है कि न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की हाल की वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। बैंक पिछले दो वित्तीय वर्षों से घाटे में चल रहा है और इसकी आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर हो रही है।
बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार:
- वित्त वर्ष 2023 में बैंक को ₹307.5 मिलियन का घाटा हुआ था।
- वित्त वर्ष 2024 में भी बैंक को ₹227.8 मिलियन का नुकसान हुआ।
- 31 मार्च 2024 तक बैंक का कुल ऋण ₹13.30 बिलियन से घटकर ₹11.75 बिलियन रह गया।
- हालांकि, इस दौरान बैंक की कुल जमा राशि ₹24.06 बिलियन से बढ़कर ₹24.36 बिलियन हो गई।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि बैंक लगातार नुकसान में है और इसके ऋण वितरण में भी गिरावट आई है। यही कारण है कि RBI ने बैंक पर अस्थायी रूप से कई वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए हैं।
ग्राहकों के पैसों पर क्या होगा असर?
चूंकि आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द नहीं किया है, इसलिए ग्राहकों की जमा राशि पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा। ग्राहक अपनी मौजूदा जमा राशि पर ब्याज प्राप्त करते रहेंगे, लेकिन वे नई जमा नहीं कर सकेंगे और बैंक कोई नया लोन नहीं दे सकेगा।
हालांकि, अगर छह महीने बाद बैंक की स्थिति में सुधार नहीं होता, तो आरबीआई बैंक के खिलाफ और कड़ी कार्रवाई कर सकता है, जिसमें बैंक का विलय या पूर्ण रूप से बंद किया जाना भी शामिल हो सकता है।
क्या इससे पहले भी हुए हैं ऐसे प्रतिबंध?
यह पहली बार नहीं है जब किसी को-ऑपरेटिव बैंक पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इससे पहले भी कई बैंकों को वित्तीय अनियमितताओं के चलते प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।
- PMC बैंक मामला (2019): आरबीआई ने वित्तीय घोटालों और कर्ज में डूबे PMC बैंक पर सख्त पाबंदियां लगाई थीं, जिससे लाखों ग्राहकों को परेशानी हुई थी।
- सहकारी बैंकों पर नियमित कार्रवाई: आरबीआई समय-समय पर आर्थिक रूप से कमजोर बैंकों की निगरानी करता है और जरूरत पड़ने पर उन पर प्रतिबंध लगाता है।
RBI की आगे की योजना क्या होगी?
आरबीआई ने साफ किया है कि बैंक पर लगाए गए प्रतिबंध अस्थायी हैं और इनका उद्देश्य बैंक को वित्तीय रूप से मजबूत करना है। नियामक संस्था बैंक की स्थिति पर लगातार नजर रखेगी और अगर बैंक अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने में सक्षम होता है, तो इन प्रतिबंधों को हटाया जा सकता है।
हालांकि, अगर बैंक की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता, तो आरबीआई इसके खिलाफ और सख्त कदम उठा सकता है, जिसमें बैंक को किसी मजबूत बैंक के साथ मर्ज करना भी एक विकल्प हो सकता है।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
- अगर आपका खाता न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में है, तो घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि बैंक का लाइसेंस रद्द नहीं किया गया है।
- अगर आप इस बैंक में कोई नई जमा करने की सोच रहे थे, तो फिलहाल इसे टाल दें क्योंकि बैंक अभी नई जमा स्वीकार नहीं कर रहा है।
- अगर आपको अपने पैसे की तुरंत जरूरत है, तो बैंक की स्थिति पर नजर बनाए रखें और जरूरत पड़ने पर अपने फंड को अन्य बैंकों में स्थानांतरित करने की योजना बनाएं।
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