मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 347 अंक टूटकर 72,738.87 पर आ गया, जबकि निफ्टी 109 अंक गिरकर 22,009.45 पर पहुंच गया। आईटी शेयरों में 1% की गिरावट देखी गई, जिससे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। अमेरिकी टैरिफ नीति और वैश्विक अनिश्चितता के चलते निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।
भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स नौ महीने के निचले स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी में भी बड़ी गिरावट देखी गई। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 347.07 अंक गिरकर 72,738.87 पर और निफ्टी 109.85 अंक फिसलकर 22,009.45 पर आ गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट की प्रमुख वजह वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की बिकवाली है। आईटी शेयरों में 1% तक की गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई।
आईटी और अन्य सेक्टरों पर असर
इस गिरावट का सबसे अधिक प्रभाव आईटी सेक्टर पर पड़ा, जहां प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई। निवेशकों में अनिश्चितता के कारण टेक्नोलॉजी कंपनियों में बड़ी बिकवाली देखी गई। इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों के शेयर भी नुकसान में रहे।
सकारात्मक पक्ष की बात करें तो भारतीय स्टेट बैंक, इंडसइंड बैंक, जोमैटो, और पावर ग्रिड के शेयरों में मजबूती देखने को मिली।
वैश्विक बाजारों में गिरावट का असर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखी गई। टोक्यो और हांगकांग के बाजारों में गिरावट आई, जबकि शंघाई और सियोल के बाजार अपेक्षाकृत स्थिर रहे। अमेरिकी बाजारों में भी कल बड़ी गिरावट देखी गई, जिससे वैश्विक निवेशकों में डर का माहौल बना हुआ है।
ब्रेंट क्रूड की कीमतें भी 0.63% गिरकर 71.17 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में भी दबाव देखा गया।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली और रुपये पर असर
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 4,788.29 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची। इससे घरेलू बाजारों पर दबाव बढ़ा।
इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया आठ पैसे कमजोर होकर 87.40 पर पहुंच गया। रुपये में कमजोरी से आयात महंगा हो सकता है, जिससे बाजार की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के चलते वैश्विक व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि 4 मार्च से मेक्सिको और कनाडा पर 25% और चीन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इससे अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई।
डाओ जोंस 650 अंक गिरकर डेढ़ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि नैस्डैक 500 अंक टूटकर चार महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ। S&P 500 में भी ढाई महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इसका असर एशियाई और भारतीय बाजारों पर भी पड़ा।
बाजार की आगे की दिशा
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। अमेरिकी टैरिफ नीति, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और रुपये में कमजोरी से बाजार पर दबाव बना रहेगा। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और बैंकिंग सेक्टर की अच्छी स्थिति से बाजार को कुछ सहारा मिल सकता है।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार में सतर्कता बरतें और दीर्घकालिक निवेश की रणनीति अपनाएं।
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