सारांश : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से उत्पन्न वैश्विक व्यापार युद्ध के बीच चीन ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए, न कि बाधाएं खड़ी करनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि दोनों देशों की साझेदारी दुनिया को नया रूप दे सकती है। ट्रंप के टैरिफ फैसलों के कारण कनाडा, मैक्सिको और चीन सहित कई देशों में व्यापारिक अस्थिरता बढ़ रही है, और इसी पृष्ठभूमि में चीन ने भारत को सहयोग का संदेश दिया है।


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ट्रंप की टैरिफ नीति से बढ़ा वैश्विक तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई व्यापार नीति ने दुनियाभर में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने ऐलान किया है कि जो भी देश अमेरिका पर टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी बदले में उस पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। इस नीति से चीन, यूरोपीय संघ, भारत, ब्राजील और अन्य देशों पर सीधा असर पड़ा है। चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद से बीजिंग और वाशिंगटन के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई है।


अमेरिकी संसद में अपने संबोधन के दौरान ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि कई देश दशकों से अमेरिका पर भारी टैरिफ लगा रहे हैं, जो अब स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100% तक टैरिफ लगाता है, और अब अमेरिका भी इसी नीति के तहत जवाब देगा।


चीन ने भारत के साथ सहयोग की जताई इच्छा

ट्रंप की टैरिफ नीति से चीन को भारी आर्थिक झटका लगा है। इसी के चलते चीन अब भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारत और चीन को प्रतिस्पर्धी के बजाय सहयोगी बनना चाहिए और एक-दूसरे के विकास में योगदान देना चाहिए।


वांग यी ने यह भी कहा कि भारत और चीन की मजबूत साझेदारी वैश्विक स्तर पर नए अवसर ला सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब दोनों देश एक साथ काम करेंगे, तो इससे न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत और आपसी सहयोग से ही संभव है।


भारत-चीन की साझेदारी से मिल सकता है नया वैश्विक नेतृत्व

चीन का मानना है कि भारत और चीन मिलकर वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं। वांग यी के अनुसार, यदि भारत और चीन एक साथ आते हैं, तो यह ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) को अधिक सशक्त बना सकता है। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति में नए रास्ते खुल सकते हैं।


भारत और चीन दोनों तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाएं हैं और वैश्विक स्तर पर इनका प्रभाव बढ़ता जा रहा है। वांग यी ने कहा कि दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी से एशियाई देशों को भी लाभ मिलेगा और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।


अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के प्रभाव

ट्रंप के टैरिफ फैसले से न केवल चीन, बल्कि कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ भी प्रभावित हुए हैं। हालांकि, मैक्सिको और कनाडा को कुछ राहत दी गई है, लेकिन चीन के खिलाफ अमेरिकी नीतियां सख्त होती जा रही हैं।


अमेरिका में स्थित चीनी दूतावास ने एक कड़े बयान में कहा कि यदि अमेरिका व्यापार युद्ध चाहता है, तो चीन भी इसके लिए पूरी तरह तैयार है। चीन ने स्पष्ट किया कि वह अपनी अर्थव्यवस्था और व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।


भारत के लिए क्या मायने रखता है चीन का यह प्रस्ताव?

चीन का भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताना एक कूटनीतिक संकेत है। भारत और चीन के बीच पहले से ही व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं।


ट्रंप की टैरिफ नीति के कारण चीन को नए व्यापारिक साझेदारों की जरूरत है, और भारत इस स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि, भारत को इस साझेदारी में अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि चीन के साथ व्यापारिक संबंधों से भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिकतम लाभ मिले।


निष्कर्ष

अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति के चलते चीन को भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। चीन ने भारत को सहयोग का प्रस्ताव देकर संकेत दिया है कि वह व्यापारिक मोर्चे पर नए विकल्प तलाश रहा है। अब यह भारत पर निर्भर करता है कि वह इस प्रस्ताव को कैसे देखता है और किस तरह से अपने हितों के अनुसार निर्णय लेता है।

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