भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India - ASI) भारत सरकार की एक प्रमुख एजेंसी है, जो देश की पुरातात्विक धरोहरों, स्मारकों और पुरासंपदाओं के संरक्षण, रखरखाव और अनुसंधान का कार्य करती है। यह संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करती है और भारतीय पुरावशेष अधिनियम, 1958 के अंतर्गत संरक्षित स्मारकों और स्थलों की देखरेख करती है।
इतिहास
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना 1861 में ब्रिटिश पुरातत्वविद् अलेक्ज़ेंडर कनिंघम (Alexander Cunningham) द्वारा की गई थी। कनिंघम को भारत में व्यवस्थित पुरातात्विक अन्वेषण और सर्वेक्षण का श्रेय दिया जाता है। स्वतंत्रता के बाद, ASI को अधिक अधिकार और संसाधन प्रदान किए गए ताकि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित कर सके।
प्रमुख कार्य एवं दायित्व
- स्मारकों का संरक्षण – ASI भारत के 3,600 से अधिक संरक्षित स्मारकों और स्थलों की देखरेख करता है, जिसमें मंदिर, मस्जिद, किले, स्तूप और गुफाएँ शामिल हैं।
- पुरातात्विक उत्खनन एवं शोध – यह संस्था विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों पर खुदाई और अनुसंधान कर भारतीय इतिहास को पुनः स्थापित करने का कार्य करती है।
- संग्रहालय संचालन – ASI के अधीन कई राष्ट्रीय संग्रहालय संचालित किए जाते हैं, जो पुरातात्विक खोजों और ऐतिहासिक धरोहरों को प्रदर्शित करते हैं।
- संरक्षण एवं पुनर्स्थापना – ऐतिहासिक धरोहरों और पुरासंपदाओं की मरम्मत, रखरखाव और पुनर्स्थापना ASI द्वारा की जाती है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग – ASI भारत के सांस्कृतिक धरोहरों को विश्व पटल पर प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों, जैसे कि UNESCO, के साथ कार्य करता है।
- पुरातात्विक कानूनों का प्रवर्तन – भारत में अवैध खुदाई और ऐतिहासिक धरोहरों की तस्करी को रोकने के लिए ASI कानूनों को लागू करता है।
संरक्षित स्मारक और स्थल
ASI द्वारा संरक्षित कुछ प्रमुख स्मारक और स्थल निम्नलिखित हैं:
- ताजमहल (उत्तर प्रदेश)
- कुतुब मीनार (दिल्ली)
- एलोरा और अजंता गुफाएँ (महाराष्ट्र)
- सांची स्तूप (मध्य प्रदेश)
- कोणार्क का सूर्य मंदिर (ओडिशा)
- हम्पी के खंडहर (कर्नाटक)
- महाबलीपुरम के स्मारक (तमिलनाडु)
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा और संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संस्था भारत के गौरवशाली अतीत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व से अवगत कराने के लिए कार्यरत है।