जन्म: 1 मार्च 1944, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
निधन: 8 अगस्त 2024, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
पार्टी: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI(M))
पद: पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री (2000-2011)
परिचय:
बुद्धदेव भट्टाचार्य एक भारतीय राजनेता और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI(M)) के प्रमुख नेता थे। वे पश्चिम बंगाल के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में 2000 से 2011 तक कार्यरत रहे। भट्टाचार्य CPI(M) के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी थे और उन्होंने राज्य में एक सशक्त और प्रभावी वामपंथी शासन की नींव रखी। उनके कार्यकाल में पश्चिम बंगाल में औद्योगिकीकरण और कृषि क्षेत्र में कई अहम बदलाव हुए, हालांकि उनकी नीतियों को लेकर विवाद भी हुए।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अपनी शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने बंगाली साहित्य में डिग्री हासिल की। वे साहित्य और कला के प्रति गहरी रुचि रखते थे, और अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही वामपंथी विचारधारा से प्रभावित हुए।
राजनीतिक करियर:
बुद्धदेव भट्टाचार्य का राजनीतिक करियर 1960 के दशक में शुरू हुआ जब वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने। वे 1972 में पहली बार पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए और इसके बाद लगातार विधानसभा सदस्य बने रहे। उन्होंने ज्योति बसु के नेतृत्व में राज्य के सूचना और संस्कृति मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
2000 में, ज्योति बसु के सेवानिवृत्त होने के बाद, बुद्धदेव भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में, राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए। उन्होंने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) की स्थापना और नंदीग्राम और सिंगुर जैसे विवादास्पद औद्योगिक परियोजनाओं का समर्थन किया।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल:
बुद्धदेव भट्टाचार्य के मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल विवादों और चुनौतियों से भरा रहा। उनकी औद्योगिकीकरण की नीति, विशेष रूप से नंदीग्राम और सिंगुर में भूमि अधिग्रहण को लेकर, व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा। 2007 में नंदीग्राम हिंसा और सिंगुर में टाटा मोटर्स की नैनो परियोजना के विरोध ने उनकी सरकार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। इन विवादों ने उनकी लोकप्रियता को काफी हद तक प्रभावित किया और 2011 में CPI(M) को सत्ता से बाहर होना पड़ा।
व्यक्तिगत जीवन:
बुद्धदेव भट्टाचार्य का विवाह मीरा भट्टाचार्य से हुआ था और उनकी एक बेटी है, सुचेतना। वे साहित्य और कविता के प्रति गहरी रुचि रखते थे और एक कवि और लेखक के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने बंगाली साहित्य में कई कविताएं और लेख लिखे, जो उनके सांस्कृतिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
स्वास्थ्य और निधन:
बुद्धदेव भट्टाचार्य पिछले कुछ वर्षों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। 8 अगस्त 2024 को, 80 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके निधन से पश्चिम बंगाल और देश भर में शोक की लहर दौड़ गई।
विरासत:
बुद्धदेव भट्टाचार्य को एक प्रतिबद्ध वामपंथी नेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने पश्चिम बंगाल की राजनीति और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला। उनकी औद्योगिकीकरण की नीति और सांस्कृतिक योगदान को लेकर उनकी विरासत पर व्यापक चर्चा होती है। उनके समर्थक उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में मानते हैं, जबकि आलोचक उनके विवादास्पद फैसलों पर सवाल उठाते हैं। उनकी साहित्यिक रचनाएं और कविताएं बंगाली साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।