छत्रपती शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj)

छत्रपति शिवाजी महाराज (19 फ़रवरी 1630 – 3 अप्रैल 1680) भारत के महान योद्धा, कुशल रणनीतिकार और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने मुगलों, आदिलशाही और अन्य शक्तियों से संघर्ष कर स्वतंत्र हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की। उनकी प्रशासनिक दक्षता, सैन्य रणनीति और धर्मनिरपेक्ष नीतियों ने उन्हें भारतीय इतिहास में अमर बना दिया।


छत्रपती शिवाजी महाराज  (Chhatrapati Shivaji Maharaj)


प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 को शिवनेरी किले, पुणे (वर्तमान महाराष्ट्र) में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोसले बीजापुर सल्तनत के एक सेनापति थे, जबकि उनकी माता जीजाबाई धर्मपरायण और तेजस्वी महिला थीं, जिन्होंने बालक शिवाजी में वीरता और स्वतंत्रता की भावना जाग्रत की। दादा कोंडदेव ने उन्हें युद्ध, राजनीति और प्रशासन की शिक्षा दी।


हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना

शिवाजी महाराज ने 1646 में तोरणा किले पर विजय प्राप्त कर अपनी स्वतंत्र राज्य स्थापना की नींव रखी। धीरे-धीरे उन्होंने बीजापुर और मुगलों के कई किलों पर कब्जा कर लिया और मराठा साम्राज्य का विस्तार किया।


मुख्य सैन्य अभियान

तोरणा किले पर कब्जा (1646): मराठा साम्राज्य का पहला बड़ा विजय अभियान।

प्रतापगढ़ का युद्ध (1659): बीजापुर के सेनापति अफजल खान का पराजय और वध।

पुरंदर की संधि (1665): मुगलों के साथ अस्थायी संधि, जिसके तहत कई किले उन्हें सौंपे गए।

आगरा से पलायन (1666): औरंगजेब द्वारा बंदी बनाए जाने के बाद चतुराई से बचकर निकलना।

राज्याभिषेक (1674): रायगढ़ किले में छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक कर स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की घोषणा।

जंजीरा किले पर आक्रमण (1675): मराठा नौसेना को मजबूत करने की दिशा में प्रयास।

कर्नाटक विजय अभियान (1676-1679): दक्षिण भारत में मराठा प्रभाव को स्थापित करना।


प्रशासन और शासन प्रणाली

शिवाजी महाराज ने एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक प्रणाली विकसित की, जिसमें न्याय, कर व्यवस्था, और सेना के सुदृढ़ीकरण पर ध्यान दिया गया।


मुख्य प्रशासनिक सुधार

अष्टप्रधान मंडल: आठ मंत्रियों की एक परिषद, जो विभिन्न प्रशासनिक कार्यों का संचालन करती थी।

राजस्व प्रणाली: किसानों पर न्यूनतम कर, भूमि सुधार, और बेहतर कर संग्रह प्रणाली।

सैन्य सुधार: गुरिल्ला युद्धनीति, घुड़सवार सेना, मजबूत किलों की सुरक्षा।

नौसेना का विकास: समुद्री सुरक्षा के लिए मजबूत बेड़ा तैयार किया।


धार्मिक सहिष्णुता और नीतियाँ

शिवाजी महाराज धार्मिक सहिष्णुता के समर्थक थे। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों को उच्च पदों पर नियुक्त किया और मस्जिदों एवं मंदिरों की रक्षा की। वे धर्म को राजनीति से अलग रखते थे और न्याय आधारित शासन में विश्वास करते थे।


मृत्यु और विरासत

3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले में छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन हुआ। उनकी मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य का नेतृत्व उनके पुत्र संभाजी महाराज ने किया।


शिवाजी महाराज की विरासत

शिवाजी जयंती हर वर्ष 19 फ़रवरी को मनाई जाती है।

भारतीय नौसेना उन्हें आधुनिक भारतीय नौसेना का जनक मानती है।

मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) और छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उनके नाम पर रखा गया है।

शिवाजी के किलों जैसे रायगढ़, सिंहगढ़, प्रतापगढ़ आदि ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित हैं।


निष्कर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता, कुशल प्रशासक और स्वतंत्रता के अग्रदूत थे। उन्होंने न केवल मराठा साम्राज्य की स्थापना की, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को आत्मनिर्भरता, शौर्य और स्वराज्य की प्रेरणा भी दी। भारतीय इतिहास में उनका नाम पराक्रम, स्वतंत्रता और न्याय के प्रतीक के रूप में सदैव अमर रहेगा।

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