दिवाली (Diwali)

दिवाली (दीपावली) भारत का एक प्रमुख और व्यापक रूप से मनाया जाने वाला हिंदू त्योहार है, जिसे "रोशनी का त्योहार" भी कहा जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली का नाम संस्कृत के शब्द 'दीपावली' से लिया गया है, जिसका अर्थ है "दीपों की पंक्ति"। इस त्योहार में लोग अपने घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों को दीयों, मोमबत्तियों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं।


दिवाली (Diwali)

दिवाली मुख्यतः पाँच दिनों का पर्व है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है।


दिवाली का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

दिवाली का संबंध कई धार्मिक और ऐतिहासिक कथाओं से है। हिंदू धर्म में दिवाली को भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जब उन्होंने 14 वर्ष के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त की थी। अयोध्या के निवासियों ने उनके स्वागत के लिए नगर को दीपों से सजाया था।


इसके अलावा, दिवाली को माँ लक्ष्मी के पूजन के पर्व के रूप में भी देखा जाता है, जिन्हें धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर का संहार कर पृथ्वी को उसके आतंक से मुक्त किया था। जैन धर्म में दिवाली का महत्व भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में भी है, जबकि सिख धर्म में इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगलों के कारावास से मुक्त किया गया था।


दिवाली के पाँच दिन

  • धनतेरस: इस दिन लोग घर में नए बर्तन, आभूषण और वस्त्र खरीदते हैं और इसे शुभ माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आरोग्य के देव धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
  • नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): इसे 'नरकासुर वध' के स्मरण में मनाया जाता है। इस दिन नरकासुर राक्षस पर भगवान कृष्ण की विजय का प्रतीक है।
  • लक्ष्मी पूजा: दिवाली का मुख्य दिन होता है, जब घरों में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन घरों और व्यवसायिक स्थलों में लक्ष्मी जी का स्वागत समृद्धि और सौभाग्य के लिए किया जाता है।
  • गोवर्धन पूजा: इसे अन्नकूट भी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों की रक्षा करने के उपलक्ष्य में पूजा की जाती है।
  • भाई दूज: भाई दूज का दिन भाई-बहन के स्नेह को दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं।


दिवाली का सांस्कृतिक महत्व

दिवाली न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता और एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व के अवसर पर लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और पारंपरिक व्यंजन और मिठाइयां बनाते हैं।


दिवाली के अवसर पर कई जगहों पर रंगोली बनाई जाती है, पटाखे फोड़े जाते हैं, जो इस पर्व को और भी आनंदमय बनाते हैं। लोगों के बीच एक-दूसरे को उपहार देने और शुभकामनाएँ देने की परंपरा भी है, जिससे सामाजिक संबंध और मजबूत होते हैं।


पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण

हालांकि दिवाली का त्योहार ख़ुशी और उल्लास का प्रतीक है, लेकिन इसके दौरान होने वाले पटाखों के अधिक उपयोग से वायु और ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न होती है। इस कारण अब लोग पर्यावरण-अनुकूल दिवाली मनाने की ओर ध्यान दे रहे हैं। पर्यावरण संगठनों और सरकार द्वारा 'ग्रीन दिवाली' मनाने की अपील की जाती है, जिससे इस पर्व की पारंपरिक महत्ता बनी रहे और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सके।