ईएमआई (EMI)

समान मासिक किस्त (Equated Monthly Installment - EMI) किसी ऋण या लोन को चुकाने की एक निश्चित अवधि के दौरान किए जाने वाले मासिक भुगतान को कहते हैं। ईएमआई का उपयोग आमतौर पर होम लोन, कार लोन, व्यक्तिगत ऋण, और अन्य वित्तीय योजनाओं में किया जाता है।


ईएमआई (EMI)


ईएमआई की गणना

ईएमआई की गणना एक निश्चित सूत्र के आधार पर की जाती है:

EMI=P×r×(1+r)n(1+r)n1EMI = \frac{P \times r \times (1 + r)^n}{(1 + r)^n - 1}

जहां:

  • P = ऋण की मूल राशि (Principal)
  • r = मासिक ब्याज दर (वार्षिक दर / 12 / 100)
  • n = कुल किश्तों की संख्या (Loan Tenure in Months)

ईएमआई के घटक

ईएमआई दो प्रमुख भागों में विभाजित होती है:

  1. ब्याज राशि (Interest Component) - यह ऋणदाता को दी जाने वाली राशि है, जो ऋण पर लगने वाले ब्याज के रूप में होती है।
  2. मूलधन राशि (Principal Component) - यह वास्तविक ऋण राशि होती है, जिसे ऋण की अवधि में धीरे-धीरे चुकाया जाता है।

शुरुआत में ईएमआई का बड़ा हिस्सा ब्याज भुगतान में जाता है, जबकि धीरे-धीरे मूलधन का अनुपात बढ़ता जाता है।

ईएमआई के प्रकार

ईएमआई भुगतान की संरचना विभिन्न प्रकार की हो सकती है:

  1. स्थिर ईएमआई (Fixed EMI) - पूरी ऋण अवधि के दौरान समान मासिक किस्तें रहती हैं।
  2. कम होती ईएमआई (Reducing EMI) - ब्याज घटने के साथ ईएमआई की राशि भी घटती है।
  3. फ्लेक्सी ईएमआई (Flexible EMI) - बैंक या ऋणदाता के नियमों के अनुसार समय-समय पर किस्तों की राशि बदली जा सकती है।

ईएमआई पर प्रभाव डालने वाले कारक

  1. ब्याज दर (Interest Rate) - यदि ब्याज दर अधिक होती है तो ईएमआई की राशि भी अधिक होगी।
  2. ऋण अवधि (Loan Tenure) - लंबी अवधि के ऋण में मासिक ईएमआई कम होती है, लेकिन कुल भुगतान अधिक होता है।
  3. ऋण राशि (Loan Amount) - जितनी अधिक ऋण राशि होगी, उतनी ही अधिक ईएमआई देनी होगी।

ईएमआई से जुड़े लाभ

  • वित्तीय योजना में मदद करता है।
  • बड़ी राशि का भुगतान एक बार में करने की आवश्यकता नहीं होती।
  • आसान और नियमित भुगतान से क्रेडिट स्कोर मजबूत होता है।