ग्रंथि, सिख धर्म में धार्मिक ग्रंथों और धार्मिक स्थानों की देखरेख करने वाले व्यक्तियों को कहा जाता है। यह शब्द पंजाबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ "पाठ करने वाला" या "धार्मिक ग्रंथ का संरक्षक" होता है। ग्रंथियों की भूमिका सिख समुदाय में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र ग्रंथ की देखभाल और उसका पाठ करते हैं।
ग्रंथियों की भूमिका
ग्रंथियों की भूमिका न केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित है, बल्कि वे सिख समुदाय को धार्मिक शिक्षाओं और मूल्यों के प्रति जागरूक करने का भी कार्य करते हैं। उनकी प्रमुख जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ:
ग्रंथि नियमित रूप से गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं, जिसे "अखंड पाठ" और "साप्ताहिक पाठ" के रूप में जाना जाता है।
धार्मिक समारोहों का संचालन:
शादी, नामकरण, और अन्य धार्मिक समारोहों में ग्रंथि धार्मिक विधियों का संचालन करते हैं।
गुरुद्वारे की देखरेख:
गुरुद्वारे में पवित्रता बनाए रखना, आरती और कीर्तन का आयोजन करना और गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा का पालन सुनिश्चित करना।
समुदाय को मार्गदर्शन:
सिख धर्म की शिक्षाओं पर प्रवचन देना और समुदाय के सदस्यों को नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करना।
योग्यता और चयन
ग्रंथि बनने के लिए व्यक्ति का सिख धर्म का अनुयायी होना आवश्यक है। इसके अलावा, उसे गुरु ग्रंथ साहिब के शुद्ध उच्चारण और धार्मिक अनुष्ठानों की गहरी जानकारी होनी चाहिए। अधिकांश ग्रंथियों को गुरुद्वारों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है या वे धार्मिक संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करते हैं।
ग्रंथियों का ऐतिहासिक महत्व
सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव जी और उनके उत्तराधिकारी गुरुओं ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिख धर्म का मार्गदर्शक ग्रंथ घोषित किया। 1708 में, गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिख समुदाय का अंतिम और शाश्वत गुरु घोषित किया। इसके बाद, ग्रंथियों को गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा और शिक्षाओं के प्रचार का दायित्व सौंपा गया।
आधुनिक समय में ग्रंथियों की स्थिति
आधुनिक समय में, ग्रंथियों का महत्व केवल धार्मिक सीमाओं तक सीमित नहीं रहा। वे सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी भाग लेते हैं और समुदाय में एकता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुछ स्थानों पर ग्रंथियों को सरकार द्वारा वेतन और सुविधाएँ भी दी जाती हैं।
ग्रंथियों से संबंधित विवाद
समय-समय पर, ग्रंथियों के कार्य और गुरुद्वारों के प्रबंधन को लेकर विवाद उत्पन्न होते हैं। इनमें से अधिकांश विवाद गुरुद्वारों की आय और संपत्ति के प्रबंधन से संबंधित होते हैं।
ग्रंथियों की प्रेरणा
ग्रंथियों का जीवन सिख धर्म की शिक्षाओं और सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। वे न केवल धार्मिक शिक्षाओं का प्रचार करते हैं, बल्कि समुदाय के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत भी होते हैं।
संदर्भ
गुरु ग्रंथ साहिब
सिख धर्म के दस गुरु
सिख रीति-रिवाज और परंपराएँ
नोट : ग्रंथि सिख समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संरचना का अभिन्न हिस्सा हैं और उनकी भूमिका समय के साथ अधिक व्यापक और प्रभावशाली होती जा रही है।