आयात शुल्क (Import Duty) किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर या शुल्क होता है। यह शुल्क सरकार द्वारा लगाया जाता है ताकि घरेलू उद्योगों की रक्षा की जा सके, विदेशी वस्तुओं की निर्भरता को कम किया जा सके और राष्ट्रीय राजस्व में वृद्धि की जा सके।
परिभाषा
आयात शुल्क वह कर है जो किसी देश में बाहरी देशों से आने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है। इसका उद्देश्य न केवल राजस्व संग्रह करना होता है, बल्कि घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान करना और व्यापार संतुलन को बनाए रखना भी होता है।
प्रकार
आयात शुल्क को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
- विशिष्ट शुल्क (Specific Duty) – यह शुल्क किसी वस्तु की मात्रा, वजन या इकाई के आधार पर लगाया जाता है।
- मूल्य आधारित शुल्क (Ad Valorem Duty) – यह शुल्क आयातित वस्तु के मूल्य के आधार पर लगाया जाता है, जैसे कि 10% शुल्क किसी उत्पाद के कुल मूल्य पर।
- संयुक्त शुल्क (Compound Duty) – इसमें विशिष्ट और मूल्य आधारित शुल्क दोनों का सम्मिलन होता है।
- सुरक्षात्मक शुल्क (Protective Duty) – यह शुल्क घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए लगाया जाता है ताकि सस्ते विदेशी उत्पादों से बाजार को बचाया जा सके।
- प्रतिशोधात्मक शुल्क (Retaliatory Duty) – जब कोई देश अपने उत्पादों पर अन्य देशों द्वारा लगाए गए शुल्क के जवाब में शुल्क लगाता है।
- समतुल्य शुल्क (Countervailing Duty - CVD) – यह शुल्क उन विदेशी वस्तुओं पर लगाया जाता है जिन पर उनके मूल देश में सब्सिडी दी जाती है।
उद्देश्य
आयात शुल्क के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- घरेलू उद्योगों की सुरक्षा – सस्ते आयातित सामानों से घरेलू उत्पादकों को नुकसान न हो, इसलिए शुल्क लगाया जाता है।
- राजस्व संग्रह – सरकार को कर के रूप में आय प्राप्त होती है, जिससे आर्थिक विकास में सहायता मिलती है।
- व्यापार घाटा कम करना – ज्यादा आयात से व्यापार असंतुलन पैदा हो सकता है, जिसे आयात शुल्क द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- रोजगार को बढ़ावा देना – घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
भारत में आयात शुल्क
भारत में आयात शुल्क का निर्धारण सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (Customs Act, 1962) के तहत किया जाता है। यह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। भारत में यह शुल्क कई कारकों जैसे कि वस्तु की श्रेणी, उपयोग और उसके देश की व्यापार नीति के अनुसार लगाया जाता है।