कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया एक सशस्त्र संघर्ष था। इस युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सेना ने इस अभियान के तहत कारगिल सेक्टर से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की।
युद्ध की पृष्ठभूमि
कारगिल युद्ध की जड़ें 1947-48 और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में निहित हैं। सियाचिन ग्लेशियर के क्षेत्र में 1984 से चल रहे संघर्ष ने भी तनाव बढ़ाया। 1998 में, दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण किए, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया। पाकिस्तान ने भारतीय नियंत्रण वाले कारगिल जिले में घुसपैठ की योजना बनाई, जिसका उद्देश्य भारतीय और पाकिस्तानी क्षेत्रों के बीच आपूर्ति लाइन को काटना और सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय नियंत्रण को कमजोर करना था।
युद्ध की घटनाएं
युद्ध की शुरुआत मई 1999 में हुई जब भारतीय गड़रियों ने कारगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों की उपस्थिति की सूचना दी। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया।
ऑपरेशन विजय: भारतीय सेना ने कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन विजय की शुरुआत की। यह ऑपरेशन दुर्गम इलाकों, बर्फबारी और ऊंचाई के कारण अत्यंत चुनौतीपूर्ण था।
वायु सेना की भूमिका: भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत हवाई हमले किए और भारतीय सेना की जमीनी कार्रवाई में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की।
भारतीय नौसेना: भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन तलवार के तहत अरब सागर में अपने युद्धपोत तैनात किए ताकि पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जा सके।
युद्ध का परिणाम
कारगिल युद्ध जुलाई 1999 में समाप्त हुआ जब भारतीय सेना ने सभी घुसपैठियों को भारतीय क्षेत्र से बाहर निकाल दिया। इस संघर्ष में भारत को 527 सैनिकों की शहादत झेलनी पड़ी, जबकि पाकिस्तान के भी कई सैनिक मारे गए।
युद्ध की विशिष्टताएँ
ऊंचाई पर लड़ाई: यह युद्ध लगभग 18,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया, जहां तापमान अत्यंत निम्न था और ऑक्सीजन की कमी थी।
प्राकृतिक चुनौतियाँ: दुर्गम पहाड़ी इलाकों और कठोर मौसम की स्थितियों ने इस युद्ध को और भी कठिन बना दिया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस युद्ध में पाकिस्तान की भूमिका की आलोचना की और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया कि वह अपने सैनिकों को भारतीय क्षेत्र से वापस बुलाए।
युद्ध के बाद
कारगिल युद्ध के बाद, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया, लेकिन इसके साथ ही दोनों देशों ने संघर्ष के समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयास भी किए। कारगिल युद्ध ने भारतीय सेना की तैयारियों और खुफिया जानकारी की आवश्यकता को भी उजागर किया, जिससे भविष्य में सुधार के उपाय किए गए।
स्मारक और श्रद्धांजलि
कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक, शहीद सैनिकों की बहादुरी को याद करने के लिए बनाया गया है। इस दिन, पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों और समारोहों के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
कारगिल युद्ध ने भारतीय सेना की बहादुरी और दृढ़ संकल्प को दर्शाया और यह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में अंकित है।