नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDAOR) भारत में दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके विकास के लिए गठित एक प्रमुख संगठन है। इस संगठन का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक क्षेत्रों में दलित और आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण के लिए काम करना है। NACDAOR का गठन देशभर के विभिन्न दलित और आदिवासी संगठनों को एक मंच पर लाने के लिए किया गया था, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज उठा सकें।
उद्देश्य:
NACDAOR का मुख्य उद्देश्य दलित और आदिवासी समुदायों के खिलाफ हो रहे अन्याय और भेदभाव को खत्म करना और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना है। संगठन शिक्षा, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, और राजनीतिक भागीदारी के क्षेत्रों में इन समुदायों के लिए न्याय और समानता की मांग करता है। इसके अलावा, NACDAOR समाज में व्याप्त जातिगत और आदिवासी भेदभाव को समाप्त करने और सामाजिक सुधार के लिए भी कार्य करता है।
गतिविधियां और आंदोलन:
NACDAOR ने देशभर में कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व किया है, जिनका उद्देश्य दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सामाजिक न्याय दिलाना है। यह संगठन आरक्षण, भूमि अधिकार, शिक्षा में सुधार, और रोजगार के मुद्दों पर सक्रिय रूप से कार्य करता है। NACDAOR ने समय-समय पर भारत बंद जैसे आंदोलनों का आयोजन किया है, जिससे समाज में दलित और आदिवासी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
संगठनात्मक ढांचा:
NACDAOR एक संघीय संरचना वाला संगठन है, जिसमें देशभर के दलित और आदिवासी संगठनों का प्रतिनिधित्व होता है। इसके तहत राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय और स्थानीय संगठन काम करते हैं। संगठन की कार्यप्रणाली सामूहिक नेतृत्व पर आधारित है, जहां हर सदस्य की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
महत्वपूर्ण घटनाएँ:
NACDAOR की अगुवाई में कई महत्वपूर्ण घटनाएं और आंदोलन हुए हैं, जिनका व्यापक असर देशभर में देखने को मिला है। इनमें प्रमुख हैं एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के सख्त कार्यान्वयन की मांग, शिक्षा में आरक्षण की रक्षा, और भूमि सुधार आंदोलनों में भागीदारी।