नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरी (NAL) भारत की प्रमुख एयरोस्पेस अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है, जो वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अधीन आती है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थित है, और यह भारत में एयरोस्पेस अनुसंधान, डिजाइन और विकास के क्षेत्र में अग्रणी है। NAL का मुख्य उद्देश्य देश में उड्डयन और एयरोस्पेस तकनीक के विकास के लिए अनुसंधान और परीक्षण करना है।
स्थापना: NAL की स्थापना 1 जून 1959 को की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में उड्डयन उद्योग के विकास और एयरोस्पेस क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देना था। प्रारंभ में, NAL का ध्यान वायुगतिकी, संरचनात्मक विश्लेषण, और विमान डिजाइन पर केंद्रित था, लेकिन समय के साथ, यह एक बहुआयामी संगठन बन गया, जो विभिन्न एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों और उत्पादों के विकास में लगा हुआ है।
प्रमुख कार्यक्षेत्र: NAL के अनुसंधान और विकास का मुख्य क्षेत्र एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में कार्य किया जाता है:
- विमान डिजाइन और विकास: NAL हल्के विमानों के डिजाइन, निर्माण और परीक्षण में विशेषज्ञता रखता है। इनमें सर्विलांस और यात्री विमानों का विकास शामिल है। स्वदेशी SARAS और Hansa विमानों का विकास NAL द्वारा किया गया है।
- सोलर पावर और मानव रहित विमान (UAV): NAL ने सौर ऊर्जा से संचालित मानव रहित विमान (HAPS) विकसित किया है, जो उन्नत निगरानी, संचार और सैन्य उपयोगों के लिए महत्वपूर्ण है। यह विमान 90 दिनों तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम है।
- वायुगतिकी और संरचनात्मक परीक्षण: NAL के पास उन्नत विंड टनल और स्ट्रक्चरल परीक्षण सुविधाएं हैं, जो विमान और एयरोस्पेस उपकरणों के डिजाइनों की वायुगतिकीय और संरचनात्मक मजबूती का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग की जाती हैं।
- विमानन सामग्री और प्रौद्योगिकी: NAL एयरोस्पेस सामग्री और कंपोजिट्स के विकास में भी अग्रणी है। यह उच्च शक्ति वाले हल्के कंपोजिट्स के विकास में विशेषज्ञता रखता है, जो विमान निर्माण में उपयोग होते हैं।
- सीएफडी और मॉडलिंग: कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनामिक्स (CFD) और मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग कर NAL विमान और अन्य एयरोस्पेस प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन और अनुकूलन करता है।
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
- SARAS विमान: NAL द्वारा विकसित SARAS, 14 सीटों वाला एक बहुउद्देश्यीय हल्का यात्री विमान है, जो भारत में विकसित सबसे प्रमुख विमानों में से एक है।
- हंसा विमान: हंसा, एक हल्का विमान, जिसे प्रशिक्षण और व्यक्तिगत उपयोग के लिए विकसित किया गया है।
- सोलर पावर UAV: NAL द्वारा विकसित सौर ऊर्जा से संचालित मानव रहित विमान 90 दिनों तक उड़ान भर सकता है, जो निगरानी और संचार के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।
- विंड टनल: NAL का विंड टनल भारत में सबसे बड़ा और उन्नत है, जो विभिन्न एयरोस्पेस प्रणालियों और मॉडलों के परीक्षण के लिए उपयोग किया जाता है।
सहयोग और साझेदारियाँ: NAL ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों, जैसे कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और कई अन्य एयरोस्पेस संगठनों के साथ साझेदारी की है। NAL का उद्देश्य भारत को एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखना है।
नवीनतम परियोजनाएँ: NAL वर्तमान में उन्नत एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों जैसे मानव रहित विमान (UAV), सोलर पावर संचालित विमानों और अगली पीढ़ी के विमान निर्माण प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहा है। इसके साथ ही, यह 5G सिग्नल ट्रांसमिशन और उन्नत संचार प्रणालियों के विकास में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।