राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA), जिसे National Testing Agency के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार द्वारा स्थापित एक स्वायत्त और आत्मनिर्भर प्रमुख परीक्षण संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य देशभर में उच्च गुणवत्ता वाली परीक्षा आयोजित करना और शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए एक पारदर्शी, कुशल और प्रभावी प्रणाली प्रदान करना है।
स्थापना और इतिहास
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की स्थापना 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई थी। इसका उद्देश्य देश में उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए विभिन्न परीक्षाओं के आयोजन में सुधार करना और प्रक्रिया को सरल बनाना था। NTA ने अपनी गतिविधियों की शुरुआत 2018 में की और तब से यह कई प्रमुख प्रवेश और पात्रता परीक्षाओं का सफलतापूर्वक आयोजन कर रहा है।
उद्देश्य
NTA के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- मानक और विश्वसनीय प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन।
- उच्च गुणवत्ता वाली परीक्षा सामग्री का विकास और वितरण।
- परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- डिजिटल और तकनीकी समाधान का उपयोग करके परीक्षा प्रणाली में सुधार लाना।
- परीक्षाओं के आयोजन में नवीनतम तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं का अनुप्रयोग करना।
प्रमुख परीक्षाएँ
NTA विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं का आयोजन करता है, जिनमें प्रमुख हैं:
- राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET): MBBS और BDS कोर्सेज़ में प्रवेश के लिए।
- संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE Main): इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर कोर्सेज़ में प्रवेश के लिए।
- कॉमन मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट (CMAT): मैनेजमेंट कोर्सेज़ में प्रवेश के लिए।
- नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (UGC NET): विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए।
- ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट (GPAT): फार्मेसी कोर्सेज़ में प्रवेश के लिए।
- इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR AIEEA): कृषि विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए।
परीक्षा प्रक्रिया
NTA परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है। इसमें ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया, कंप्यूटर आधारित टेस्ट (CBT), परीक्षा केंद्रों की लाइव निगरानी, और डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली शामिल है। ये उपाय सुनिश्चित करते हैं कि परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो।
चुनौतियाँ और विवाद
NTA को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है। इनमें तकनीकी समस्याएँ, प्रश्नपत्र लीक, और कुछ परीक्षाओं के आयोजन में कठिनाईयाँ शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ छात्रों और शिक्षकों ने परीक्षा प्रणाली में सुधार की मांग की है और इसे और अधिक छात्र-केंद्रित बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।