आधार कार्ड (UIDAI)

आधार कार्ड भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया गया एक विशिष्ट पहचान पत्र है, जो भारत सरकार के अधीन काम करता है। यह कार्ड भारत के प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट 12-अंकीय संख्या प्रदान करता है, जिसे आधार संख्या कहते हैं। यह संख्या व्यक्ति की बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय जानकारी पर आधारित होती है।


आधार कार्ड  (UIDAI)


इतिहास और पृष्ठभूमि

आधार योजना की शुरुआत 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करना था, ताकि सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ सीधे और प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सके। आधार परियोजना की जिम्मेदारी नंदन नीलेकणि को सौंपी गई थी, जो यूआईडीएआई के पहले अध्यक्ष बने।


पंजीकरण प्रक्रिया

आधार कार्ड के लिए पंजीकरण निशुल्क है और इसे देशभर में विभिन्न पंजीकरण केंद्रों पर किया जा सकता है। पंजीकरण के समय निम्नलिखित जानकारी एकत्र की जाती है:

  • बायोमेट्रिक जानकारी: अंगुलियों के निशान, आँखों की पुतलियों का स्कैन और फोटोग्राफ।
  • जनसांख्यिकीय जानकारी: नाम, पता, जन्मतिथि, लिंग और संपर्क जानकारी।


उपयोगिता

आधार कार्ड का उपयोग विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं के लिए किया जा सकता है:

  • सब्सिडी और लाभ: सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है, जो आधार से जुड़ा होता है।
  • पहचान प्रमाण: आधार कार्ड को एक महत्वपूर्ण पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया गया है।
  • बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: बैंक खाते खोलने, पैन कार्ड के साथ लिंक करने, और विभिन्न वित्तीय लेन-देन के लिए आधार का उपयोग किया जाता है।
  • सिम कार्ड: मोबाइल सिम कार्ड के लिए केवाईसी (KYC) प्रक्रिया में आधार का उपयोग किया जाता है।


विवाद और चिंताएं

आधार परियोजना की शुरुआत से ही कई विवाद और चिंताएं उत्पन्न हुई हैं:

  • गोपनीयता और सुरक्षा: आधार डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर सवाल उठाए गए हैं। डेटा लीक और गैरकानूनी पहुंच की घटनाओं ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।
  • अनिवार्यता: कुछ सेवाओं और योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाने को लेकर कई कानूनी विवाद हुए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि आधार को केवल सरकारी सब्सिडी और लाभों के लिए अनिवार्य बनाया जा सकता है, लेकिन अन्य सेवाओं के लिए नहीं।


कानूनी स्थिति

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, आधार कानून में कई बदलाव किए गए और इसे अधिक सुरक्षित और स्वैच्छिक बनाने के प्रयास किए गए। आधार अधिनियम, 2016 के तहत, किसी भी व्यक्ति को आधार नंबर देने से इनकार नहीं किया जा सकता, और आधार नंबर प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की सूची भी विस्तारित की गई है।