केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जल्द ही देश में GNSS तकनीक पर आधारित गेट मुक्त प्लाजा बनाए जाएंगे.

हाइलाइट्स

  • FASTag की मदद से टोल पर वाहनों के रुकने के औसत समय में बड़ी कमी आई.
  • पहले गाड़ियों को 734 सेकंड का वक्त लगता था अब घटकर 47 सेकंड रह गया है.
  • Global Navigation Satellite System पर आधारित गेट फ्री टोल बनेंगे.

नई दिल्ली. सफर के दौरान हाईवे पर टोल प्लाजा पर हमेशा गाड़ियों की लंबी कतारें लगी रहती हैं. इस जाम की वजह से यात्रियों को कुछ समय तक इंतजार करना पड़ता है. हालांकि, फास्टैग के आने से टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर लगने वाले औसत वक्त में कमी आई है, लेकिन आने वाले समय में टोल पर रुकने की झंझट ही खत्म हो जाएगी, क्योंकि सरकार जल्द ही टोल प्लाजा पर एक खास तकनीक लागू करने जा रही है. इससे टोल प्लाजा पर ट्रैफिक जाम जैसे हालात नहीं बनेंगे.

राज्यसभा में शुक्रवार को सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश के टोल प्लाजा पर लगने वाले औसत वक्त में कमी आई है. यह वेटिंग टाइम औसत 734 सेकेंड था जो अब घटकर केवल 47 सेकंड रह गया है. उन्होंने यह भी बताया कि नेशनल हाईवे पर FASTag लगने के बाद से टोल प्लाजा के कलेक्शन में बढ़ोतरी हुई है.

GNSS की मदद से बनेंगे गेट फ्री टोल प्लाजा

एबीपी लाइव की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर से बीजेपी सांसद शंकर लालवानी ने केंद्रीय परिवहन मंत्री से पूछा था कि सरकार टोल प्लाजा पर लगने वाले लंबे ट्रैफिक जाम पर क्या कर रही है. क्या इस समस्या के लिए किसी नए सिस्टम को डेवलप किया जा रहा है? इस पर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जल्द ही देश में Global Navigation Satellite System (GNSS) पर आधारित गेट मुक्त प्लाजा बनाए जाएंगे. इससे लोगों को प्लाजा पर कुछ वक्त के लिए भी नहीं रुकना पड़ेगा. इस पर योजना काम करने के लिए सरकार ने एक कंसल्टेंट नियुक्त कर दिया है.

FASTag लागू होने से मिली बड़ी राहत

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी बताया कि FASTag लगने के बाद से टोल प्लाजा पर रुकने के औसत वक्त में कमी आई है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा किए गए सर्वे में पता चला है कि FASTag लागू होने से पहले आमतौर पर गाड़ियों को 734 सेकंड का वक्त लगता था जो अब घटकर केवल 47 सेकंड रह गया है.

इसके अलावा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय वाहनों को रोके बिना स्वचालित टोल संग्रह को सक्षम करने के लिए स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली (स्वचालित नंबर प्लेट रीडर कैमरे) से जुड़े एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.

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