सारांश : भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) किसी फोन या OTP की जरूरत के बिना स्वतंत्र और सुरक्षित है। अमेरिका में EVM का उपयोग नहीं होता क्योंकि वहां की EVM इंटरनेट से जुड़ी होती है और हैक होने का खतरा रहता है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि भारत की EVM पूरी तरह सुरक्षित है।

क्या US में Internet से चलती है EVM? India की EVM कैसे है अलग; Election Commission का स्पष्टीकरण


मुख्य बिंदु:


भारत की EVM स्वतंत्र और नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती।

अमेरिका में EVM का उपयोग नहीं होता, वहां बैलेट पेपर का उपयोग होता है।

एलन मस्क और राहुल गांधी के दावों पर चुनाव आयोग की सफाई।

भारत की EVM और अमेरिकी EVM में तकनीकी अंतर।


भारत की EVM: क्या है हकीकत?


चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को अनलॉक करने के लिए किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं होती। यह पूरी तरह स्वतंत्र और वायरलेस प्रक्रिया है।


हाल ही में, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और बिजनेसमैन एलन मस्क ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इन्हें खत्म कर देना चाहिए क्योंकि इन्हें हैक किया जा सकता है। इसके बाद राहुल गांधी ने एक समाचार पत्र की कटिंग साझा की जिसमें OTP के माध्यम से EVM अनलॉक करने का दावा किया गया था। इस पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यह दावा पूरी तरह गलत है और भारत की EVM किसी भी प्रकार के नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती है।


अमेरिका में EVM का उपयोग नहीं


अमेरिका में वोटिंग के लिए EVM का उपयोग नहीं होता और वे पारंपरिक तरीके से बैलेट पेपर का उपयोग करते हैं। अमेरिका के नागरिक EVM पर भरोसा नहीं करते क्योंकि उनका मानना है कि इन्हें हैक किया जा सकता है। दरअसल, अमेरिका में जिन EVM का उपयोग होता था, वे इंटरनेट से जुड़े होते थे जिससे साइबर अटैक के जरिए उनमें छेड़छाड़ संभव थी।


चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण


चुनाव आयोग के अधिकारी ने एलन मस्क के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में EVM की कार्यप्रणाली पर संदेह किया जा रहा है। भारतीय EVM को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी है और इसे सुरक्षित माना है। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका में प्रत्येक राज्य अपनी मतदान पद्धति चुन सकता है, जिनमें पेपर बैलेट से लेकर बिना पेपर ट्रेल के डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक (DRE) सिस्टम शामिल हैं।


भारत में EVM स्टैंडअलोन मशीनें हैं और यह किसी भी नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती हैं। इसके अलावा, इनमें VVPAT (वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) भी होती है जिससे वोट की पुष्टि होती है।


भारत और अमेरिका की EVM में अंतर


लोकसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के वकील ने भारत और अमेरिका की EVM में अंतर बताया था। उन्होंने कहा कि विदेशों में इस्तेमाल होने वाली EVM नेटवर्क से जुड़ी होती थीं जिससे इन्हें हैक करना आसान था। जबकि, भारत की EVM किसी भी नेटवर्क, वाईफाई या ब्लूटूथ से जुड़ी नहीं होती और इन्हें हैक नहीं किया जा सकता।


इसके अलावा, विदेशों में EVM प्राइवेट कंपनियों द्वारा बनाई जाती थीं जबकि भारत में EVM का निर्माण पब्लिक सेक्टर कंपनियों द्वारा किया जाता है। भारतीय EVM में वोट की पुष्टि के लिए VVPAT सिस्टम भी लगा होता है जबकि अमेरिका की EVM में ऐसा कोई सिस्टम नहीं होता।


निष्कर्ष


भारत की EVM पूरी तरह सुरक्षित और स्वतंत्र होती है और यह किसी भी नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती है। चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि EVM को किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं होती है। अमेरिकी EVM से यह पूरी तरह अलग होती है और इसे हैक करना असंभव है। लोगों को चुनाव आयोग की व्यवस्था पर भरोसा करना चाहिए और अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

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