सारांश: मोदी सरकार 3.0 के गठन में जदयू और टीडीपी ने प्रमुख मंत्रालयों की मांग की है। भाजपा, पूर्ण बहुमत न होने के कारण, गठबंधन दलों के दबाव में है। हालांकि, भाजपा ने यह शर्त रखी है कि टॉप मंत्रालय तभी दिए जाएंगे जब नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू खुद इनकी जिम्मेदारी लेंगे।

Modi Government 3.0: Nitish और Chandrababu की मांगें और BJP की कड़ी शर्तें

भाजपा की गठबंधन राजनीति और महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग

लोकसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के बाद, एनडीए अब मोदी सरकार 3.0 के गठन के लिए तैयार है। नीतीश कुमार की जदयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने भी प्रमुख मंत्रालयों की मांग करना शुरू कर दिया है। इन मांगों के चलते भाजपा पर दबाव बढ़ गया है।


एनडीए की बैठक और मंत्रालयों का बंटवारा

7 जून को एनडीए की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में यह तय किया जाएगा कि किस दल को कौन सा मंत्रालय मिलेगा। भाजपा की स्थिति इस बार थोड़ी कमजोर है क्योंकि उसे पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। इसलिए सहयोगी दल अपने लिए अधिक महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, जदयू और टीडीपी की नजर मोदी सरकार के टॉप टेन मंत्रालयों पर है, जिसमें गृह, रक्षा, वित्त, विदेश, राजमार्ग, वाणिज्य, रेलवे, कृषि, पेट्रोलियम आदि शामिल हैं।


भाजपा की शर्तें

भाजपा ने जदयू और टीडीपी की मांगों के जवाब में कुछ शर्तें रखी हैं। भाजपा ने यह स्पष्ट किया है कि अगर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू खुद इन मंत्रालयों की जिम्मेदारी लेंगे, तभी उन्हें टॉप मंत्रालय दिए जाएंगे। इसके लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा और चंद्रबाबू नायडू को मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं लेनी होगी।


सहयोगी दलों के लिए भाजपा की रणनीति

सूत्रों के अनुसार, भाजपा जदयू और टीडीपी के अन्य सांसदों को टॉप मंत्रालय देने के पक्ष में नहीं है। सीसीएस के चार महत्वपूर्ण मंत्रालयों - रक्षा, वित्त, गृह और विदेश में सहयोगी दलों को शामिल करने की संभावना नहीं है। मोदी सरकार 2.0 में रेलवे और सड़क परिवहन में बड़े सुधार किए गए हैं और भाजपा इन्हें सहयोगियों को देकर सुधार की गति धीमी नहीं करना चाहती।


गठबंधन के दबाव में भाजपा

हालांकि, गठबंधन की राजनीति के चलते भाजपा को कुछ समझौते करने पड़ सकते हैं। मोदी 1.0 और मोदी 2.0 में सहयोगी दलों को केवल सांकेतिक नुमाइंदगी दी गई थी। लेकिन इस बार जदयू और टीडीपी आसानी से मानने वाले नहीं हैं। संभव है कि भाजपा को कुछ शर्तों पर समझौता करना पड़े।


निष्कर्ष

मोदी सरकार 3.0 के गठन में जदयू और टीडीपी की महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग और भाजपा की शर्तों के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। भाजपा को इस बार अपने सहयोगी दलों की कुछ मांगें माननी पड़ सकती हैं, जिससे गठबंधन की स्थिरता बनी रहे।

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