सारांश : सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 21 महिलाओं समेत 100 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया है। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसमें मणिपुर के पहले वकील को भी सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला। इस वर्ष की सूची में नलिन कोहली, बांसुरी स्वराज और इंदिरा साहनी जैसे प्रसिद्ध नाम शामिल हैं। इस निर्णय के साथ ही देश में न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को नया प्रोत्साहन मिला है।


सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में इतिहास रचा, 21 महिलाओं समेत 100 वकीलों को मिला वरिष्ठ वकील का दर्जा


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2024 में एक बार फिर इतिहास रचते हुए देश के 100 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा प्रदान किया। इस ऐतिहासिक निर्णय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इनमें 21 महिला वकील शामिल हैं। यह कदम न केवल भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का भी प्रतीक है।


इससे पहले के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिला वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा देने की संख्या सीमित रही है। लेकिन 2024 में, CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रवृत्ति को बदलते हुए कुल 100 वकीलों को यह प्रतिष्ठित दर्जा दिया, जिसमें महिलाओं की संख्या 21 रही। इस साल की शुरुआत में जनवरी और मार्च में भी कई वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया गया था, जिसके बाद अब यह संख्या 100 तक पहुँच गई है।


इन वरिष्ठ वकीलों की सूची में कई जाने-माने नाम शामिल हैं। पुरुष वकीलों में नलिन कोहली, शादान फरासत, राहुल कौशिक, के परमेश्वर और एम आर शमशाद जैसे वकीलों को यह दर्जा मिला है। वहीं महिला वकीलों में बांसुरी स्वराज, अपर्णा भट, अनिंदता पुजारी, इंदिरा साहनी और कविता झा जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इंदिरा साहनी वह महिला वकील हैं जिनका नाम सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक आरक्षण फैसले से जुड़ा हुआ है, जिसने देश में आरक्षण की सीमा 50% निर्धारित की थी।


सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में यह उपलब्धि हासिल करते हुए मणिपुर के निवासी वकील नगांगोम जनिये को भी वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया है, जो इस राज्य के पहले वकील हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा, 39 वर्ष के युवा वकील के परमेश्वर से लेकर 73 वर्ष के एमसी ढींगरा तक विभिन्न आयु वर्ग के वकीलों को भी यह दर्जा दिया गया है।


महिला वकीलों की बढ़ती भागीदारी का यह उदाहरण न केवल उनके कठिन परिश्रम का परिणाम है, बल्कि यह न्यायपालिका में लिंग समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है। 2024 से पहले, सुप्रीम कोर्ट में मात्र 12 महिला वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा प्राप्त था, लेकिन इस वर्ष यह संख्या 21 तक पहुँच गई है। यह परिवर्तन इस बात को दर्शाता है कि भारतीय न्याय व्यवस्था अब अधिक समावेशी और प्रगतिशील हो रही है।


महिला वकीलों में प्रमुख नामों में बांसुरी स्वराज का नाम विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है। वह दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी हैं और अपनी मां की तरह न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए जानी जाती हैं। इसके साथ ही अपर्णा भट और अनिंदता पुजारी जैसी महिला वकील भी इस सूची में शामिल हैं, जिन्होंने अपने कानूनी करियर में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।


जनवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने 56 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया था, जिनमें 11 महिलाएँ शामिल थीं। उस समय महिला वकीलों के प्रमुख नामों में शोभा गुप्ता, स्वरूपमा चतुर्वेदी और करुणा नंदी जैसी वकील शामिल थीं। मार्च 2024 में एक और चरण के दौरान, पाँच और वकीलों को यह दर्जा दिया गया, जिनमें पीवी दिनेश जैसे प्रमुख नाम थे। अब अगस्त 2024 में 39 और वकीलों के साथ यह संख्या 100 तक पहुँच गई है।


यह निर्णय न केवल भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि महिला वकीलों को अब और अधिक अवसर और पहचान मिल रही है। न्यायपालिका में यह संतुलन न्याय के बेहतर और समावेशी भविष्य का संकेत देता है।

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