सारांश : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) 76,000 करोड़ रुपये की रिकवरी के मामले में मुश्किलों का सामना कर रहा है। PACL और सहारा इंडिया जैसी कंपनियों के निवेशकों का पैसा अब तक नहीं लौटाया जा सका है। सेबी ने अपनी रिपोर्ट में इस चुनौती का जिक्र किया है, जिसमें 140 मामलों में संबंधित लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। यह लेख इन समस्याओं और SEBI की मुश्किलों पर रोशनी डालता है।


निवेशकों के 76,000 करोड़ की रिकवरी से हाथ खड़े कर रहा SEBI: PACL और सहारा इंडिया घोटाले की पूरी कहानी


नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार पर नजर रखने वाली भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) को 76,000 करोड़ रुपये की रिकवरी के मामले में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ये रकम उन निवेशकों की है, जिन्होंने PACL और सहारा इंडिया जैसी कंपनियों में अपना पैसा लगाया था। लेकिन, ये कंपनियां निवेशकों का पैसा लेकर न केवल गायब हो गईं, बल्कि उनके पैसे की वापसी की कोशिशों को भी बुरी तरह जटिल बना दिया।


SEBI की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2024 तक SEBI के पास 76,293 करोड़ रुपये की ऐसी राशि वसूलने का जिम्मा है, जिसे वापस पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। खास बात यह है कि यह रकम पिछले साल की तुलना में 4% अधिक हो चुकी है। इस बढ़ी हुई रकम का बड़ा हिस्सा उन मामलों से जुड़ा है, जो अदालतों में लंबित हैं।


SEBI के सामने कानूनी मुश्किलें:

SEBI की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 807 मामलों में से 36 मामले राज्य स्तरीय अदालतों, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में लंबित हैं। इन मामलों में करीब 12,199 करोड़ रुपये की रकम फंसी हुई है। इसके अलावा, 60 मामले ऐसी समितियों के पास हैं, जो अदालत द्वारा नियुक्त की गई हैं। इन मामलों में करीब 59,970 करोड़ रुपये का भुगतान रुका हुआ है। यानी कुल मिलाकर, बकाया रकम का लगभग 95% हिस्सा इन्हीं मामलों में अटका हुआ है।


लापता निवेशकों का पता नहीं:

एक और बड़ी समस्या यह है कि 140 मामलों में शामिल लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। इन मामलों में 131 व्यक्तिगत मामले हैं, जबकि 9 मामले कंपनियों से संबंधित हैं। SEBI ने अब तक कुल 6,781 रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किए हैं, जिनमें से 3,871 अभी भी लंबित हैं। इन सर्टिफिकेट्स के माध्यम से SEBI को करीब एक लाख करोड़ रुपये वसूल करने का जिम्मा है। इस रकम में उन कंपनियों से वसूली भी शामिल है, जिन्होंने जुर्माना नहीं भरा है, साथ ही उन निवेशकों का पैसा भी है, जिन्हें अभी तक वापसी नहीं मिल पाई है।


PACL और सहारा इंडिया की मुश्किलें:

सबसे ज्यादा दिक्कत PACL और सहारा इंडिया के मामलों में आ रही है। इन दोनों कंपनियों के खिलाफ इन्वेस्टमेंट स्कीम से जुड़े मामले अदालतों में लंबित हैं, जिनमें करीब 63,206 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। इन मामलों में निवेशकों का पैसा बुरी तरह फंसा हुआ है, और सेबी के लिए इसे निकाल पाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।


PACL और सहारा इंडिया दोनों ही कंपनियों के मामलों में सबसे ज्यादा नुकसान आम निवेशकों को हो रहा है। इन निवेशकों का पैसा इन कंपनियों और अदालतों के चक्कर में अटका हुआ है, और सेबी की कोशिशों के बावजूद इसे वापस पाना लगभग असंभव सा प्रतीत हो रहा है। इस स्थिति में, सेबी ने निवेशकों को सतर्क रहने और समझदारी से निवेश करने की सलाह दी है।


इस पूरी समस्या के मद्देनजर, यह साफ है कि निवेशकों के हितों की रक्षा करना सेबी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। इन मामलों में कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलता और संबंधित लोगों का पता न चलने की वजह से निवेशकों का पैसा वापस मिलना कठिन हो गया है।

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