सारांश : अमेरिकी अपीलीय अदालत ने तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ उसकी याचिका खारिज कर दी है। साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले में वांछित राणा को अब भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, राणा के पास अभी भी कुछ कानूनी विकल्प मौजूद हैं, लेकिन उसकी भारत प्रत्यर्पण की संभावना अब पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गई है।
साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिकी अदालत से एक बड़ा झटका लगा है। राणा, जो पाकिस्तान मूल का एक कनाडाई व्यवसायी है, उस पर मुंबई हमले की योजना में शामिल होने का आरोप है। इस हमले में 160 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें 26 विदेशी नागरिक भी शामिल थे। हमले को अंजाम देने वाले 10 लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों में से एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को बाद में भारतीय न्याय प्रणाली के तहत फांसी दे दी गई थी।
राणा की ओर से दायर याचिका पर अमेरिकी अपीलीय अदालत के पैनल ने फैसला सुनाया। पैनल ने राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राणा का भारत प्रत्यर्पण, भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार पूरी तरह से वैध है। इस निर्णय ने तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया है।
तहव्वुर राणा का नाम मुंबई हमले में आया था जब उसने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों की मदद की थी। उस पर आतंकवादी संगठन को समर्थन देने और डेनमार्क में आतंकवादी हमले की योजना बनाने का भी आरोप है। इससे पहले उसे अमेरिकी ज्यूरी ने विदेशी आतंकवादी संगठन को सहायता प्रदान करने का दोषी पाया था।
हालांकि, तहव्वुर राणा के पास अब भी कुछ कानूनी विकल्प बाकी हैं। वह इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है और भारत में अपने प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिश कर सकता है। लेकिन अमेरिकी अपीलीय अदालत का यह फैसला उसके भारत प्रत्यर्पण की संभावना को और मजबूत करता है।
मुंबई हमले के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी पाकिस्तान से नाव के जरिए मुंबई पहुंचे थे और 60 घंटे तक शहर को आतंक के साये में बंधक बनाए रखा था। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण स्थानों पर हमला किया, जिसमें ताजमहल होटल, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस शामिल थे। इस हमले के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मौके पर मार गिराया था।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि वह मुंबई हमले के पीछे की पूरी साजिश का पर्दाफाश कर सकता है। उसका भारत लाना इस मामले में नए खुलासों का भी रास्ता खोल सकता है।
राणा के मामले में अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत अब तक के फैसलों ने इस बात को स्पष्ट किया है कि न्याय की ओर एक और कदम बढ़ाया गया है। भारतीय न्याय प्रणाली का सामना करने के लिए राणा को अब जल्द ही भारत लाया जा सकता है।
इस प्रकार, अमेरिकी अपीलीय अदालत का फैसला तहव्वुर राणा के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन यह भारत के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और न्याय प्रणाली के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर होगा कि वे इस मामले की तह तक जाएं और सभी दोषियों को सजा दिलाएं।
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