सारांश : हरियाणा की स्टार पहलवान विनेश फोगाट ने गुरुवार को कुश्ती से संन्यास की घोषणा की। पेरिस ओलंपिक में अयोग्य करार दिए जाने के बाद विनेश ने यह कदम उठाया। उनके संघर्षों और उपलब्धियों की कहानी प्रेरणादायक है। विनेश फोगाट ने अपने करियर में कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते और महिलाओं के कुश्ती के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल कीं। इस लेख में हम उनके सफर, संघर्षों और उपलब्धियों पर एक नज़र डालेंगे।

संघर्ष और सफलता की कहानी : Vinesh Phogat का कुश्ती से संन्यास


विनेश फोगाट का प्रेरणादायक सफर: संन्यास और संघर्ष की कहानी


हरियाणा के चरखी दादरी गांव की रहने वाली विनेश फोगाट का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनके परिवार में पहलवानी का एक लंबा इतिहास रहा है। उनके पिता, राजपाल फोगाट, स्वयं एक पहलवान थे, और उनकी चचेरी बहनें, गीता और बबीता, कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। परिवार की इसी पहलवानी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, विनेश ने भी कुश्ती में अपने नाम का डंका बजाया।


विनेश का सफर आसान नहीं था। उनके गांव में लड़कियों का पहलवान बनना अच्छा नहीं माना जाता था। लेकिन उनके चाचा और पिता ने सामाजिक बंदिशों को तोड़ते हुए विनेश और उनकी बहनों को पहलवानी की तालीम दी। विनेश ने बचपन से ही पहलवानी के दांव-पेंच सीखना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाई।


पेरिस ओलंपिक में निराशा और संन्यास का ऐलान


पेरिस ओलंपिक में 50 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लेने वाली विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित कर दिया गया, क्योंकि उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा था। इस निराशाजनक घटना ने विनेश को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया। गुरुवार को उन्होंने एक भावुक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए संन्यास की घोषणा की। उन्होंने अपनी मां को याद करते हुए लिखा कि उनकी हिम्मत टूट चुकी है।


अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ


विनेश फोगाट ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। 2018 एशियन गेम्स में उन्होंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। इसके अलावा, 2014 में 48 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता और 2022 तथा 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में 53 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने 2014, 2018, और 2022 में क्रमशः 48, 50 और 53 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीते।


व्यक्तिगत जीवन


विनेश फोगाट की शादी 13 दिसंबर 2018 को उनके पुराने दोस्त सोमवीर राठी से हुई। सोमवीर भी हरियाणा के ही रहने वाले हैं और राष्ट्रीय मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। दोनों की मुलाकात रेलवे की नौकरी के दौरान हुई थी, और धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई।


संघर्षों से भरा सफर


विनेश फोगाट का करियर संघर्षों से भरा रहा है। रियो ओलंपिक 2016 में घुटने की गंभीर चोट के बाद उनके करियर के समाप्त होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन उन्होंने सर्जरी के बाद शानदार वापसी की और 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया।


विनेश फोगाट का नाम उस समय भी चर्चा में आया जब उन्होंने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन का नेतृत्व किया। इस संघर्ष में भी उन्होंने अपने जीवटता का परिचय दिया और पहलवानों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई।


संन्यास के बाद की उम्मीदें


हालांकि विनेश फोगाट ने संन्यास की घोषणा की है, लेकिन उनके चाहने वालों को उम्मीद है कि वे इस सदमे से उबरकर फिर से वापसी करेंगी। उनके संघर्ष और उपलब्धियों की कहानी भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। देश को उन पर गर्व है और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

Post a Comment

أحدث أقدم