सारांश : भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा है। इसका मतलब है कि होम और कार लोन की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा, जिससे लोन की EMI में वृद्धि नहीं होगी।
RBI की नई नीति: रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, लोन की EMI स्थिर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखते हुए लगातार 9वीं बार कोई बदलाव नहीं किया है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद यह घोषणा की। यह निर्णय मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया है। आइए जानें इस फैसले का आम जनता पर क्या असर पड़ेगा।
रेपो रेट स्थिर रखने का महत्व:
रेपो दर 6.5% पर स्थिर रहने का मतलब है कि होम और कार लोन जैसे कर्जों पर ब्याज दर नहीं बढ़ेगी। यह निर्णय फरवरी 2023 में अंतिम बार रेपो रेट में वृद्धि के बाद से लगातार 9वीं बार लिया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि RBI मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखते हुए आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सतर्क है। MPC में कुल 6 सदस्य होते हैं, जिनमें बाहरी विशेषज्ञ और RBI के अधिकारी शामिल हैं।
अन्य नीतिगत दरों में भी स्थिरता:
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) और स्टैंडर्ड डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) की दरों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। MSF की दर 6.75% और SDF की दर 6.25% पर स्थिर रखी गई है। RBI गवर्नर ने बताया कि अनुकूल आधार प्रभाव की वजह से हेडलाइन मुद्रास्फीति में नरमी की उम्मीद है, हालांकि यह तीसरी तिमाही में बदल सकती है।
मुद्रास्फीति पर RBI का ध्यान:
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि घरेलू आर्थिक विकास सही दिशा में हो रहा है। मुद्रास्फीति को देखते हुए मौद्रिक नीति का स्थिर रहना आवश्यक है। MPC ने मुद्रास्फीति को प्राथमिकता दी है, जिससे सभी अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति में धीरे-धीरे कमी आ रही है। मध्यम अवधि के ग्लोबल डेवलपमेंट के बावजूद, घरेलू आर्थिक गतिविधि लचीली है और मांग में सुधार के कारण मैन्यूफैक्चरिंग में तेजी आ रही है।
GDP और मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान:
RBI ने मौजूदा वित्त वर्ष में वास्तविक GDP वृद्धि दर 7.2% रहने का अनुमान लगाया है। साथ ही, खुदरा मुद्रास्फीति इस वित्त वर्ष में 4.5% रह सकती है। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन इसे नियंत्रण में रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
आम जनता पर प्रभाव:
RBI के इस निर्णय से आम जनता को राहत मिलेगी, क्योंकि होम और कार लोन की ब्याज दरों में कोई वृद्धि नहीं होगी। इससे लोन की EMI में वृद्धि नहीं होगी और लोग आर्थिक रूप से स्थिर रह सकेंगे। इसके अलावा, मैन्यूफैक्चरिंग और मांग में सुधार से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
बैंकिंग क्षेत्र और उद्योग पर प्रभाव:
रेपो रेट स्थिर रहने से बैंकिंग क्षेत्र में भी स्थिरता बनी रहेगी। बैंक अपने ग्राहकों को स्थिर ब्याज दरों पर लोन प्रदान कर सकेंगे, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी। उद्योग जगत को भी इससे लाभ होगा, क्योंकि वे स्थिर ब्याज दरों पर निवेश कर सकेंगे और अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकेंगे।
RBI की आगे की रणनीति:
RBI की मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए सतर्क रहती है। आने वाले समय में भी RBI मुद्रास्फीति के रुझान और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों में बदलाव कर सकती है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और वृद्धि मिलती रहेगी।
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