सारांश :कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने बाजार में छोटे मूल्य वाले नोटों की कमी का मुद्दा उठाया है, जिससे ग्रामीण और गरीब तबके के लोगों को भारी असुविधा हो रही है। टैगोर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है। इसके पीछे RBI के द्वारा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए छोटे नोटों की छपाई रोकने की बात कही जा रही है।


क्या ₹10, ₹20 और ₹50 के नोट वाकई गायब हो रहे हैं? कांग्रेस सांसद ने उठाया बड़ा सवाल


छोटे नोटों की कमी: क्या बाजार से ₹10, ₹20 और ₹50 के नोट गायब हो गए हैं?


बाजार में छोटे मूल्य वाले नोटों की कमी की शिकायतें पिछले कुछ समय से लगातार सुनने में आ रही हैं। इस मुद्दे को कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने बड़े गंभीरता से उठाया है। उन्होंने इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने छोटे मूल्य के नोटों की कमी को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, छोटे व्यापारियों, रेहड़ी-पटरी वालों, और दिहाड़ी मजदूरों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन रही है, क्योंकि ये लोग ज्यादातर कैश लेन-देन पर निर्भर होते हैं।


कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर का आरोप


मणिक्कम टैगोर ने आरोप लगाया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ₹10, ₹20, और ₹50 के नोटों की छपाई बंद कर दी है। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जो डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं रखते। टैगोर ने इसे नागरिकों के अधिकारों का हनन बताया और मांग की कि इस समस्या का जल्द समाधान निकाला जाए।


गांवों में कैश की कमी से बढ़ी दिक्कतें


ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के पास डिजिटल लेनदेन के साधनों की सीमित पहुंच है। ऐसे में, उनके लिए कैश ही लेनदेन का प्रमुख साधन बना हुआ है। ₹10, ₹20, और ₹50 के नोटों की कमी के कारण छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।


टैगोर का कहना है कि छोटे मूल्य वाले नोटों की छपाई बंद करने से सीधे तौर पर उन लोगों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, जो डिजिटल सुविधाओं से वंचित हैं।


छोटे व्यापारियों पर संकट


छोटे व्यापारियों, ठेले वालों, और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए छोटे नोटों का महत्व बहुत बड़ा है। इन लोगों के व्यापार में छोटे मूल्य के नोटों की जरूरत होती है ताकि वे आसानी से लेनदेन कर सकें। नोटों की कमी के कारण उनके व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। कई बार ग्राहक भी छोटे नोट न होने के कारण वापस चले जाते हैं, जिससे उनकी आय में गिरावट आ रही है।


क्या RBI ने वाकई बंद की नोटों की छपाई?


मणिक्कम टैगोर ने अपने पत्र में यह दावा किया है कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए RBI ने छोटे मूल्य के नोटों की छपाई बंद कर दी है। हालांकि, इस पर अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन यह बात जरूर है कि बाजार में छोटे नोटों की कमी की शिकायतें पिछले कुछ महीनों से बढ़ती जा रही हैं। टैगोर ने अपने पत्र में इस बात पर भी जोर दिया है कि रिजर्व बैंक को छोटे नोटों की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए।


बाजार में सबसे अधिक कौन सा नोट प्रचलित है?


भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक बाजार में सबसे अधिक ₹500 के नोट प्रचलन में थे, जिनकी कुल कीमत 5.16 लाख करोड़ रुपए थी। इसके बाद दूसरे स्थान पर ₹10 के नोट थे, जिनकी कुल कीमत 2.49 लाख करोड़ रुपए थी। इसके बावजूद छोटे नोटों की कमी की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं, जो यह सवाल खड़ा करती हैं कि आखिर ये नोट बाजार में क्यों नहीं उपलब्ध हो रहे हैं?


नोट छपाई पर बढ़ते खर्च और सरकारी नीतियां


वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटों की छपाई पर 5,101 करोड़ रुपए खर्च किए, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में अधिक है। 2022-23 में यह खर्च 4,682 करोड़ रुपए था। ऐसे में सवाल उठता है कि जब नोट छपाई का खर्च लगातार बढ़ रहा है, तो छोटे मूल्य के नोटों की कमी क्यों हो रही है?


कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कैश की आपूर्ति में कमी कर रही है। लेकिन यह कदम ग्रामीण और गरीब तबके के लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है।


ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान की सीमित पहुंच


डिजिटल पेमेंट की सुविधाएं शहरी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन ग्रामीण भारत में इसकी पहुंच अब भी सीमित है। कई गांवों में इंटरनेट की समस्या है, जिससे UPI या अन्य डिजिटल पेमेंट सेवाओं का इस्तेमाल करना मुश्किल होता है। ऐसे में छोटे नोटों की कमी ने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए समस्याएं और बढ़ा दी हैं।

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