सारांश: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें ₹3 लाख तक का लोन 5% ब्याज पर दिया जाता है। यह योजना कौशल विकास, आधुनिक औजारों की सुविधा, और बाजार से जुड़ाव को बढ़ावा देती है। इस योजना के लिए आवेदन कैसे करें और इसकी पात्रता शर्तें क्या हैं, जानिए विस्तार से।


प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: पारंपरिक कारीगरों के लिए लोन, ट्रेनिंग और आत्मनिर्भरता का मार्ग


प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: कारीगरों के लिए आर्थिक सहायता और आत्मनिर्भरता का नया रास्ता


प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत सरकार द्वारा शिल्पकारों और कारीगरों को वित्तीय रूप से समर्थ बनाने के लिए शुरू की गई एक अनूठी पहल है। यह योजना 2023 में विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना, बल्कि उनके कौशल को आधुनिक तकनीकों और औजारों के माध्यम से उन्नत करना भी है। यह योजना उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो अपनी पारंपरिक शिल्पकला को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम उठाना चाहते हैं।


लोन की सुविधा और लाभ


प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत शिल्पकारों को ₹3 लाख तक का लोन 5 प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर मिलता है। लोन दो किस्तों में प्रदान किया जाता है, जिसमें पहले चरण में ₹1 लाख और दूसरे चरण में ₹2 लाख तक की राशि शामिल है। पहले ₹1 लाख का लोन प्राप्त करने के बाद, इसे 18 महीनों के भीतर चुकाने की शर्त होती है। लोन की पहली किस्त चुकाने के बाद ही आप ₹2 लाख का लोन प्राप्त कर सकते हैं, जिसे आपको 30 महीनों के अंदर चुकाना होता है।


यह योजना उन कारीगरों के लिए है, जो अपने पारंपरिक व्यवसाय को आधुनिक उपकरणों और बेहतर कौशल के साथ संचालित करना चाहते हैं। सरकार इस योजना के अंतर्गत कारीगरों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ आधुनिक औजार भी उपलब्ध कराती है, ताकि वे अपने काम को और बेहतर तरीके से कर सकें और अपने व्यवसाय को नए स्तर पर ले जा सकें।


पात्रता और शर्तें


इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तों का पालन करना आवश्यक है। कारीगरों को पहले बेसिक ट्रेनिंग पूरी करनी होती है, जिसके बाद वे ₹1 लाख तक के लोन के लिए पात्र होते हैं। अगर वे अपना काम जारी रखते हैं और लोन की किस्त समय पर चुकाते हैं, तो वे ₹2 लाख का अतिरिक्त लोन लेने के योग्य हो जाते हैं।


यह योजना केवल उन शिल्पकारों और कारीगरों के लिए है, जो पारंपरिक कौशल में निपुण हैं और अपने काम को एक नई दिशा में ले जाना चाहते हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य इन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करना और उनके कौशल का विकास करना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।


व्यवसाय की श्रेणियाँ और कार्यक्षेत्र


प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत 18 तरह के पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है। इनमें बढ़ई, लोहार, नाव बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राज मिस्त्री, अस्त्रकार, झाड़ू बनाने वाले, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी, हथौड़ा बनाने वाले और मछली के जाल बनाने वाले जैसे कारीगर शामिल हैं।


ये वे पारंपरिक व्यवसाय हैं, जो सदियों से भारतीय समाज का अभिन्न अंग रहे हैं। हालांकि, आज के आधुनिक युग में इन व्यवसायों को बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इस योजना का उद्देश्य इन कारीगरों को आर्थिक सहायता देकर उनकी कला को संरक्षित और विकसित करना है।


ट्रेनिंग और कौशल विकास


इस योजना के अंतर्गत केवल लोन ही नहीं, बल्कि कारीगरों को स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग भी दी जाती है। यह ट्रेनिंग न केवल उनके पारंपरिक कौशल को और निखारने के लिए होती है, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीकों और औजारों का उपयोग करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है। इससे कारीगर अपनी दक्षता बढ़ाकर अपने काम को अधिक प्रभावी ढंग से कर सकते हैं।


सरकार ट्रेनिंग के दौरान ₹500 की अनुदान राशि भी प्रदान करती है, जिससे कारीगरों को कुछ वित्तीय सहायता मिलती है। इसके अलावा, उन्हें विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है, जिससे वे विभिन्न बाजारों से जुड़कर अपने उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा दे सकते हैं।


कैसे करें आवेदन?


अगर आप प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत लोन लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ आसान प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। सबसे पहले, आपको योजना से संबंधित हेल्पलाइन नंबर 1800-2677777 पर कॉल कर सकते हैं, जहां आपको योजना की पूरी जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, आप योजना की आधिकारिक ई-मेल आईडी pm-vishwakarma@dcmsme.gov.in पर संपर्क करके भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


इसके अलावा, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया की जानकारी भी दी जाती है। इस योजना के माध्यम से सरकार का प्रयास है कि देश के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके, ताकि वे अपने व्यवसाय को और बेहतर बना सकें।

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