सारांश : दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं आतिशी को अगले पांच महीनों में कई अहम चुनौतियों से जूझना होगा। अरविंद केजरीवाल की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, उन्हें सरकार चलाने, आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी, पार्टी की छवि सुधारने और दिल्ली के बुनियादी मुद्दों को हल करने का जिम्मा उठाना होगा। आतिशी के सामने सबसे बड़ी चुनौती न केवल सीमित समय में खुद को साबित करने की है, बल्कि उप राज्यपाल और प्रशासन के साथ तालमेल बिठाकर विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने की भी है।

Delhi की Chief Minister बनीं Atishi : पांच महीनों में चुनौतियों का सामना कैसे करेंगी?


दिल्ली की राजनीतिक हलचलों में आतिशी का नाम कई सालों से उभरता आ रहा था। अब, वह तीसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में दिल्ली की सत्ता संभाल रही हैं। हालांकि, यह पद सिर्फ पांच महीनों के लिए ही है, लेकिन इस छोटे से कार्यकाल में भी उनके सामने चुनौतियों का अंबार है। इन पांच महीनों में, आतिशी को न केवल सरकार चलानी है, बल्कि दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी भी करनी है। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी (AAP) की छवि को सुधारने की चुनौती भी उनके सामने है, जो हाल के भ्रष्टाचार मामलों के चलते धूमिल हो चुकी है।


खुद को साबित करने का दबाव:

आतिशी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उनके पास काम करने के लिए बहुत सीमित समय है। 10 साल बाद दिल्ली को एक महिला मुख्यमंत्री मिली है, लेकिन पांच महीनों के इस कार्यकाल में उन्हें खुद को साबित करना होगा। आतिशी ने खुद अपने पहले बयान में यह स्पष्ट कर दिया था कि अरविंद केजरीवाल ही उनके प्रेरणा स्रोत हैं, और उन्हीं की वजह से वह विधायक, मंत्री और अब मुख्यमंत्री बनीं हैं। हालांकि, असल चुनौती यह होगी कि वह केजरीवाल की छाया में रहते हुए भी अपनी पहचान कैसे बनाएंगी।


विधानसभा चुनाव की तैयारी:

आतिशी के सामने दूसरी बड़ी चुनौती विधानसभा चुनाव की तैयारी है, जो अगले साल फरवरी में होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी की योजना है कि चुनाव समय से पहले हो जाएं, और यह संभावना जताई जा रही है कि अक्टूबर-नवंबर में चुनाव करवाए जा सकते हैं। ऐसे में, आतिशी को सीमित समय में अपनी पार्टी की छवि को सुधारना होगा और जनता के बीच विश्वास पैदा करना होगा।


पार्टी की इमेज सुधारने की चुनौती:

आम आदमी पार्टी हाल के दिनों में कई भ्रष्टाचार के मामलों में फंसी हुई है, जिसमें दिल्ली शराब घोटाला प्रमुख है। इस घोटाले में ईडी और सीबीआई की जांच के दौरान पार्टी की शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगे हैं। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे नेता जमानत पर बाहर हैं, जबकि सतेंद्र जैन जैसे कुछ नेताओं को जेल जाना पड़ा है। ऐसे में, आतिशी के सामने पार्टी की छवि को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी है।


महिला सुरक्षा और वोटर बैंक:

आतिशी को महिला वोटरों का समर्थन हासिल करने के लिए महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी काम करना होगा। हाल ही में, पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई घटना ने पार्टी की महिला विरोधी छवि को और बढ़ावा दिया है। ऐसे में, आतिशी के मुख्यमंत्री बनने से कुछ हद तक यह छवि सुधरी है, लेकिन चुनाव से पहले उन्हें इस मुद्दे पर और प्रयास करने की जरूरत होगी।


पेंडिंग फाइल्स और सरकारी कामकाज:

दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी को अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के कारण लंबित पड़े कामों को भी निपटाना होगा। केजरीवाल लगभग 178 दिन जेल में रहे, जिस दौरान कई महत्वपूर्ण फाइलें और योजनाएं लंबित रह गईं। अब आतिशी को यह साबित करना होगा कि वह इस काम को तेजी से पूरा कर सकती हैं, खासकर जब उनके पास वित्त, शिक्षा और लोक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं।


उप राज्यपाल और प्रशासन के साथ संबंध:

दिल्ली में कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए आतिशी को उप राज्यपाल के साथ अच्छे संबंध बनाना होगा। अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल में अक्सर उप राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी रहती थी, जिससे कई परियोजनाओं में देरी होती थी। आतिशी को इस चुनौती से निपटते हुए उप राज्यपाल के साथ तालमेल बिठाना होगा, ताकि विकास कार्यों में रुकावट न आए।


दिल्ली के बुनियादी मुद्दे:

दिल्ली में बुनियादी ढांचे से संबंधित कई समस्याएं हैं, जिनमें खराब सड़कें, जलजमाव, गंदे पानी की आपूर्ति, बिजली कटौती और मोहल्ला क्लिनिक की स्थिति शामिल हैं। राजधानी में कई इलाकों में जलजमाव की वजह से हाल ही में दो छात्रों की मौत भी हो गई थी। ऐसे में, आतिशी को इन समस्याओं का समाधान करना होगा, खासकर जब दिल्ली नगर निगम भी उनकी पार्टी के पास है।


केजरीवाल के वादों को पूरा करने की चुनौती:

अरविंद केजरीवाल ने अपने कार्यकाल में दिल्ली की जनता से कई बड़े वादे किए थे, जिनमें यमुना की सफाई, महिलाओं को 1000 रुपये मानदेय देना, सार्वजनिक सेवाओं को घर-घर पहुंचाना और इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति लागू करना शामिल है। अब आतिशी के सामने यह चुनौती है कि वह इन वादों को पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठाएं।


निष्कर्ष:

दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चुनाव की तैयारी से लेकर पार्टी की छवि सुधारने और बुनियादी ढांचे से संबंधित समस्याओं का समाधान करने तक, उनके सामने समय कम है और जिम्मेदारियां ज्यादा। आतिशी को इन पांच महीनों में अपनी क्षमता और नेतृत्व कौशल को साबित करना होगा, ताकि दिल्ली की जनता का भरोसा जीत सकें और आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित कर सकें।

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