सारांश : डेलावेयर में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने चीन के विस्तारवादी रवैये, खासकर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों पर गंभीर चिंता जताई। सम्मेलन में आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई, जिसमें मुंबई 26/11 और पठानकोट हमलों का उल्लेख हुआ। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न मानवीय संकट पर भी चिंता व्यक्त की गई और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार शांति स्थापित करने की जरूरत पर बल दिया गया।
डेलावेयर में आयोजित हुए क्वाड शिखर सम्मेलन ने वैश्विक राजनीति और सुरक्षा को एक नई दिशा दी है। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों ने इस महत्वपूर्ण बैठक में न केवल आपसी संबंधों को सुदृढ़ किया, बल्कि चीन की आक्रामक नीतियों, आतंकवाद और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे गंभीर वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। क्वाड नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर यह स्पष्ट कर दिया कि उनका गठबंधन सिर्फ आर्थिक और सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी उनकी प्रतिबद्धता है।
चीन के विस्तारवादी रवैये पर गहरी चिंता
क्वाड सम्मेलन के दौरान सबसे बड़ी चिंता का विषय चीन की समुद्री गतिविधियां रहीं। खासकर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक नीतियों और सैन्यीकरण को लेकर चारों देशों ने गहरी चिंता जताई। इन समुद्री क्षेत्रों में चीन की बढ़ती मौजूदगी और उसके द्वारा विवादित क्षेत्रों का सैन्यीकरण एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बन चुकी है।
क्वाड नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे चीन के इन विस्तारवादी कदमों का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में बलपूर्वक और डराने-धमकाने वाले युद्धाभ्यासों से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरा है। यह सम्मेलन इस बात पर बल देता है कि किसी भी समुद्री विवाद को अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेषकर UNCLOS (संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि) के तहत हल किया जाना चाहिए।
नेताओं ने यह भी कहा कि तट रक्षक और समुद्री मिलिशिया के खतरनाक उपयोग से क्षेत्रीय शांति को खतरा है। इस तरह के आक्रामक रवैये को लेकर क्वाड नेताओं ने चीन के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाया और जोर दिया कि सभी देशों को अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए।
आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश
क्वाड सम्मेलन में आतंकवाद पर भी गंभीर चर्चा हुई। चारों देशों के नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वे इसके किसी भी रूप को बर्दाश्त नहीं करेंगे। खासतौर पर सीमा पार आतंकवाद, जो भारत के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है, उस पर कड़ी निंदा की गई।
संयुक्त बयान में मुंबई 26/11 और पठानकोट हमलों का उल्लेख करते हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की गई। नेताओं ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के जरिए आतंकवादियों को उचित दंड दिलाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई।
इस बयान में आतंकवादियों के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही और उन्हें सजा दिलाने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया। आतंकवाद के खिलाफ इस एकजुट रुख ने यह स्पष्ट कर दिया कि क्वाड देश वैश्विक सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने को तैयार हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर गहरी चिंता
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक राजनीति और सुरक्षा को एक बड़े संकट में डाल दिया है। इस मुद्दे पर भी क्वाड नेताओं ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। युद्ध के कारण हो रहे मानवीय संकट पर सभी देशों ने गहरा दुख जताया।
नेताओं ने कहा कि युद्ध के चलते लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं, और इससे वैश्विक अस्थिरता का खतरा भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि युद्ध का एकमात्र समाधान शांतिपूर्ण संवाद और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत किया जाना चाहिए। इस पर बल दिया गया कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप हो।
वैश्विक सुरक्षा में क्वाड की भूमिका
क्वाड सम्मेलन से यह साफ हो गया है कि यह संगठन सिर्फ एक क्षेत्रीय गठबंधन नहीं है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव है। आतंकवाद, चीन की आक्रामक नीतियों और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक मुद्दों पर क्वाड देशों की एकजुटता उन्हें वैश्विक शक्ति संतुलन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती है।
चीन की समुद्री आक्रामकता और उसकी विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ एकजुट रुख अपनाकर क्वाड देशों ने यह संकेत दिया है कि वे अपने क्षेत्र और वैश्विक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सम्मेलन इस बात का संकेत देता है कि आने वाले समय में क्वाड की भूमिका सिर्फ आर्थिक और सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वैश्विक स्थिरता और शांति बनाए रखने में भी इसका प्रमुख योगदान रहेगा।
निष्कर्ष
क्वाड शिखर सम्मेलन ने वैश्विक सुरक्षा को मजबूत करने और प्रमुख चुनौतियों का सामना करने के लिए चार देशों की प्रतिबद्धता को दोहराया है। आतंकवाद, चीन की आक्रामक नीतियों और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे प्रमुख मुद्दों पर एकजुट रुख अपनाकर इन देशों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने के लिए तैयार हैं। यह सम्मेलन न केवल चारों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक नई दिशा प्रदान करेगा।
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