सारांश : भारतीय शेयर बाजार सोमवार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर खुला, जहां सेंसेक्स में 327 अंकों की छलांग लगी और निफ्टी ने पहली बार 25900 का स्तर पार किया। प्रमुख कंपनियों में भारती एयरटेल, टाटा स्टील और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, जबकि आईसीआईसीआई बैंक और इंफोसिस जैसे शेयरों में गिरावट आई। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में स्थिरता और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीद ने बाजार को मजबूती दी। वहीं, वोडाफोन-आइडिया के शेयरों में 8% की बढ़त देखने को मिली।
सोमवार की सुबह भारतीय शेयर बाजार ने एक बार फिर अपने निवेशकों को चौंकाया। बीएसई सेंसेक्स ने 327 अंकों की बढ़त के साथ रिकॉर्ड ऊंचाई पर कारोबार की शुरुआत की, जबकि निफ्टी ने पहली बार 25900 का स्तर पार किया। यह उछाल वैश्विक बाजारों में सकारात्मक रुझान और भारतीय कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन के कारण संभव हुआ। भारतीय बाजारों में प्रमुख कंपनियों के शेयरों में मजबूती देखने को मिली, जिनमें भारती एयरटेल, महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम), एसबीआई, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा स्टील और एचडीएफसी बैंक शामिल हैं।
सुबह 9:18 बजे बीएसई सेंसेक्स 287 अंकों की बढ़त के साथ 84,831 पर कारोबार करता दिखा। वहीं, निफ्टी 50 ने 100 अंक या 0.39% की बढ़त के साथ 25,891 पर कारोबार किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संभावित स्थिरता और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के चलते आई है। जानकारों के अनुसार, बुधवार को फेडरल रिजर्व द्वारा 50 आधार अंकों की कटौती की संभावना है, जिससे वैश्विक बाजारों में सकारात्मकता आई है।
शेयरों में उतार-चढ़ाव:
सेंसेक्स में शामिल प्रमुख शेयरों में भारती एयरटेल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एसबीआई, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा स्टील और एचडीएफसी बैंक ने बढ़त दर्ज की। दूसरी ओर, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक, एचसीएल टेक, पावर ग्रिड और इंफोसिस के शेयरों में गिरावट देखी गई। शेयर बाजार में इन गिरावटों का कारण आंतरिक चुनौतियों और कुछ कंपनियों में मुनाफा वसूली की स्थिति बताई जा रही है। लेकिन इसके बावजूद, अधिकांश कंपनियों ने बाजार की इस बढ़त में सकारात्मक योगदान दिया।
सेक्टोरल प्रदर्शन:
विभिन्न सेक्टर्स में भी बढ़त देखी गई। निफ्टी फार्मा में 1% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे इस सेक्टर के निवेशकों में उत्साह बढ़ा है। वहीं, निफ्टी ऑटो सेक्टर में 0.9% की वृद्धि हुई, जो ऑटो कंपनियों की स्थिति में सुधार को दर्शाता है। इसके अलावा, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज, एफएमसीजी, मीडिया, पीएसयू बैंक, रियल्टी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के शेयरों ने भी सकारात्मक शुरुआत की और बाजार की मजबूती को बनाए रखा।
वोडाफोन-आइडिया की सफलता:
व्यक्तिगत शेयरों की बात करें तो, वोडाफोन-आइडिया के शेयरों में 8% की वृद्धि दर्ज की गई। यह बढ़त नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग के साथ 3.6 बिलियन डॉलर के नेटवर्क उपकरण सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद आई। वोडाफोन-आइडिया का यह सौदा भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे कंपनी को अपनी सेवा गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
बीएचईएल की प्रगति:
इसके अलावा, बीएचईएल के शेयरों में भी 3% से अधिक की बढ़त देखी गई, जब कंपनी को एनटीपीसी से 6,100 करोड़ रुपये का ऑर्डर प्राप्त हुआ। यह ऑर्डर भारतीय ऊर्जा सेक्टर में बीएचईएल की भूमिका को और मजबूत करेगा। एनटीपीसी का यह ऑर्डर बिजली उत्पादन से संबंधित परियोजनाओं के लिए है, जिससे बीएचईएल के शेयरों में उछाल आया है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व का प्रभाव:
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों में बदलाव का भारतीय शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की संभावना से वैश्विक बाजारों में तेजी देखने को मिल रही है। सीएमई फेडवॉच के अनुसार, अगली फेड नीति बैठक में ब्याज दरों में और कटौती होने की संभावना 50.3% है। यह कटौती अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तरलता बढ़ाएगी, जिससे भारतीय बाजार को भी लाभ मिल सकता है।
निवेशकों के लिए संकेत:
भारतीय शेयर बाजार में आई यह उछाल निवेशकों के लिए एक अच्छा संकेत है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में यह तेजी बरकरार रह सकती है, खासकर तब जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे और भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन सुधारता रहे। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जैसे कि आईटी और बैंकिंग सेक्टर, लेकिन इन क्षेत्रों में भी आने वाले समय में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
निष्कर्ष:
भारतीय शेयर बाजार में इस समय की तेजी को देखते हुए निवेशकों को सतर्कता के साथ अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। प्रमुख कंपनियों के शेयरों में बढ़त और वैश्विक आर्थिक स्थिरता के संकेतों से बाजार में सकारात्मक माहौल बना हुआ है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों में बदलाव और ब्याज दरों में संभावित कटौती से भारतीय बाजार को और मजबूती मिलने की संभावना है। निवेशकों के लिए यह समय है कि वे अपनी निवेश रणनीतियों को पुनः जांचें और उन क्षेत्रों में निवेश करें जहां स्थिरता और वृद्धि की संभावनाएं अधिक हैं।
एक टिप्पणी भेजें